![ज्ञानवापी विवाद: अदालत से पहले योगी का 'फैसला'](https://cdn.magzter.com/1427090692/1691432315/articles/SEGT2-ptu1691566649442/1691566918259.jpg)
वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे में आ रही सभी बाधाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दूर होते ही ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू हो गया है। इसे हिंदू पक्ष की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। मुस्लिम पक्ष भले ही लगातार सर्वे की मुखालफत कर रहा था, लेकिन अब दोनों पक्ष सर्वे में हिस्सा ले रहे हैं। लगभग 350 साल पुरानी मस्जिद का सर्वे कराने के पीछे यह जानना है कि क्या यह किसी मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर बनाई गई है? अब चार महीने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 61 सदस्यों की टीम सर्वे पूरा करके अपनी रिपोर्ट बिना किसी रोक-टोक दे सकती है, लेकिन यह नहीं समझना चाहिए कि सर्वे मात्र से ज्ञानवापी परिसर हिंदू पक्ष को उनका हक मिल जाएगा या मुस्लिम पक्ष की दावेदारी खत्म हो जाएगी? इसके लिए अभी दोनों पक्षों को लंबी लड़ाई लड़नी होगी, इसलिए दोनों पक्षों को ज्ञानवापी पर बयानबाजी करते समय थोड़ी सजगता बरतना चाहिए। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है, कम से कम राजनेता तो यही संदेश दे रहे हैं। ज्ञानवापी विवाद को लेकर मोदी-योगी सरकार भी ऐक्टिव मोड में नजर आ रही है, उसे लगता है कि ज्ञानवापी का मामला 2024 के आम चुनाव में बड़ा गुल खिला सकता है। संभवतः इसीलिए ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद विवाद का अंतिम निर्णय आने से पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने माइंड गेम शुरू कर दिया है। बीजेपी इस विवाद के निपटारे का श्रेय अदालत की जगह अपने आप को देने के लिए तो उतावली नहीं है, ऐसा इसलिए लग रहा है क्योंकि जब ज्ञानवापी विवाद निपटारे के लिए अदालतें लगातार सुनवाई कर रही हों और कोई नतीजा आने से पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यदि यह कहें कि ज्ञानवापी प्रकरण में ऐतिहासिक गलती को सुधारने के लिए मुसलमान आगे आएं तो, साफ है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक तीर से कई निशाने साधना चाहते हैं। कुछ लोगों को लगता है योगी ने यदि यह बयान व्यक्तिगत तौर पर दिया होता तो कोई बात नहीं थी, लेकिन उन्हें सीएम की कुर्सी पर ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।
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![आईपीएल से दूर रहकर उर्वशी ने किया मायूस](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/FhWnKd3E51718179420979/1718179499660.jpg)
आईपीएल से दूर रहकर उर्वशी ने किया मायूस
उर्वशी रौतेला को निश्चित रूप से देश में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली, सम्मानित और चहेती शख्सियतों में से एक माना जाता है। इस साल कान्स में उर्वशी रौतेला का जलवा बरकरार रहा।
![अपनी तमिल फिल्म के बारे में दिलचस्प अपडेट देगी सनी लियोनी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/IfBxh99zS1718179378340/1718179421188.jpg)
अपनी तमिल फिल्म के बारे में दिलचस्प अपडेट देगी सनी लियोनी
सनी लियोनी अपनी आगामी फिल्म 'कोटेशन गैंग' पर एक रोमांचक अपडेट का अनावरण करने को तैयार हैं।
![अदा शर्मा ने रैंप पर शेयर किया ऊप्स मोमेंट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/zy_HiK5ui1718179279856/1718179358450.jpg)
अदा शर्मा ने रैंप पर शेयर किया ऊप्स मोमेंट
अदा शर्मा इस पीढ़ी की सबसे बहुमुखी अभिनेत्रियों में से एक हैं। उन्होंने द केरल स्टोरी के साथ अपने यथार्थवादी अभिनय कौशल को साबित किया और इसके बाद कॉमेडी सनफ्लावर सीज़न 2 के साथ आईं और अब वह बस्तर द नक्सल स्टोरी में एक शक्तिशाली प्रदर्शन के साथ आई हैं जिसके लिए उन्हें प्रशंसा मिल रही है।
![सुपर-8 में भारत की हो सकती है ऑस्ट्रेलिया से टक्कर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/VhO7kdkwV1718178968484/1718179270580.jpg)
सुपर-8 में भारत की हो सकती है ऑस्ट्रेलिया से टक्कर
टी20 वर्ल्डकप का आगाज हो चुका है। टूर्नामेंट में 28 दिन तक 55 मैच खेले जाएंगे। ग्रुप स्टेज में 2 से 18 जून तक 17 दिन में 40 मैच होंगे। सुपर-8 स्टेज में 19 से 25 जून तक 7 दिन में 12 मैच खेले जाएंगे। 27 जून को दोनों सेमीफाइनल, वहीं 29 जून को फाइनल होगा। टी-20 वर्ल्ड कप की होस्टिंग अमेरिका और वेस्टइंडीज को मिली है। अमेरिका के 3 वेन्यू पर कुल 16 मैच होंगे। न्यूयॉर्क में 8, वहीं डलास और फ्लोरिडा में 4-4 मैच खेले जाएंगे।
![जीवन में प्रसाद का अभाव और अवसाद का प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/ZpiMKNGFK1718178717160/1718178967909.jpg)
जीवन में प्रसाद का अभाव और अवसाद का प्रभाव
जीवन में प्रसाद का अभाव है और अवसाद का प्रभाव। अवसाद वस्तुतः पराजित मानसिकता का परिणाम है। मित्रता सुख देती है। मित्र परस्पर सुख-दुख बांटते हैं लेकिन मित्रता भी स्वार्थ निरपेक्ष नहीं है। एकाकी होने में दुख है। एकाकी अनुभव होने में और ज्यादा दुख है। बृहदारण्यक उपनिषद में सृष्टि के विकास का सुन्दर वर्णन है। ऋषि कहते हैं, पहले वह अकेला था। अकेला होने के कारण उसे आनंद नहीं मिला।
![पिता एक रिश्ता है तो जिम्मेदारी का नाम भी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/FFbMD3MGo1718178553276/1718178713311.jpg)
पिता एक रिश्ता है तो जिम्मेदारी का नाम भी
अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस (16 जून) पर विशेष
![बच्चों को गैजेट नहीं, टाइम दें!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/Jy9ZBtVyJ1718178352769/1718178552911.jpg)
बच्चों को गैजेट नहीं, टाइम दें!
आजकल कम उम्र में बच्चे आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने से भी परहेज नहीं करते। इसकी बड़ी वजह है परिवार, संयुक्त परिवार की जगह एकांकी परिवार का बढ़ता चलन। बात यहीं तक सीमित नहीं है, समस्या यह भी है घर में रहते हुए भी लोगों का अधिकांश समय आपसी बातचीत से अधिक मोबाइल, टीवी में गुजरता है। इस वजह से आपस में सामाजिक दूरियां भी बढ़ रही हैं।
![एनडीए की जीत पर पाकिस्तान सदमे में!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/4M0i-Y7Jy1718178175821/1718178352837.jpg)
एनडीए की जीत पर पाकिस्तान सदमे में!
भारत में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा अकेले दम पर बहुमत आंकड़ा पार नहीं कर पाई तो सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तानी नेता नजर आए। 2019 के मुकाबले भाजपा की सीटें घटने पर पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने खुशी जताई। फवाद ने कहा कि उनको उम्मीद थी कि भारत की जनता नरेंद्र मोदी और उनकी विचारधारा को खारिज करेगी।
![एनडीए ने 9, इंडिया ने 5 सीटों पर जमाया कब्जा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/4CiH6frOW1718178031417/1718178174824.jpg)
एनडीए ने 9, इंडिया ने 5 सीटों पर जमाया कब्जा
भाजपा को रांची, धनबाद, पलामू, कोडरमा, चतरा हजारीबाग, जमशेदपुर और गोड्डा सीट पर सफलता मिली तो आजसू एक बार फिर गिरिडीह सीट बचाने में सफल रहा। वहीं इस बार दुमका, राजमहल और सिंहभूम सीट झामुमो के खाते में गई तो वही लोहरदगा और खूंटी सीट कांग्रेस ने जीत ली। एनडीए और इंडिया के लिए प्रतिष्ठा बनी खूंटी और दुमका भी भाजपा ने गंवा दी। यहां से केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और हाल ही में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं सीता सोरेन दुमका सीट नहीं बचा सकी। दो बार चुनाव जीतने वाली लोहरदगा संसदीय सीट भी भाजपा ने गंवा दी।
![लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/9400/1729608/xMJKqbohO1718177861973/1718178027460.jpg)
लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित
बिहार में पूरे लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन जिस तरह के जीत के दावे कर रहा था, वैसी सफलता नहीं मिली। हालांकि, उसे नौ सीटों मिली जीत छोटी नहीं है, क्योंकि पिछली बार महज एक सीट पर जीत मिली थी। इस जीत में बड़ी भूमिका तेजस्वी यादव की रही। पिता लालू प्रसाद की पूरी रणनीति पर उन्होंने काम किया और पूरे चुनाव प्रचार में वे बड़े स्टार प्रचारक के रूप में रहे। चुनाव प्रचार के दौरान पूरे इंडिया गठबंधन में राजद को छोड़ अन्य किसी बड़े नेता ने चुनाव प्रचार को बहुत गंभीरता से नहीं लिया।