बदल गई दुनिया
DASTAKTIMES|January 2025
पिछले बीस साल में दुनिया 360 डिग्री बदल गई। नई अर्थव्यवस्थाएं विकसित हुईं। भूराजनीतिक संघर्ष बढ़े और ग्लोबल पावर डायनेमिक्स में फोकस आतंकवाद से क्लाइमेट एक्शन की ओर शिफ्ट होता दिखा। 21वीं सदी की दुनिया का हाल बता रहे हैं रणनीतिक स्तंभकार और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के.एस.तोमर।
के.एस.तोमर
बदल गई दुनिया

पिछले दो दशकों में वैश्वीकरण और आर्थिक परिवर्तनों ने ग्लोबल पावर डायनेमिक्स और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को गंभीरता से लिया है और उन्हें नया रूप दिया है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं का उदय, गहन व्यापार एकीकरण और विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाओं के प्रभाव ने दुनियाभर में आर्थिक ताकत को फिर से विस्तार दिया है। तकनीकी प्रगति और जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसे वैश्विक संकटों के साथ मिलकर इन परिवर्तनों ने प्राथमिकताओं को फिर से परिभाषित किया है, जिससे राष्टों के बीच सहयोग के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों पैदा हुए हैं। भू-राजनीतिक परिदृश्यों में मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया जैसे क्षेत्रों में लगातार और उभरते संघर्षों के कारण नाटकीय बदलाव हुए हैं। इन तनावों ने आर्थिक स्थिरता का रास्ता रोका, गठबंधनों को फिर से संगठित किया है और इस बदलाव ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नया आकार दिया है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं के उदय ने वैश्विक व्यापार एकीकरण को बढ़ाया है और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसी संस्थाओं की भूमिका इन परिवर्तनों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रही है।

चीन की बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) इस बात का उदाहरण है कि कैसे उभरती अर्थव्यवस्थाएं भू-राजनीतिक प्रभाव के लिए आर्थिक रणनीतियों का लाभ उठा रही हैं और अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं।

उभरती अर्थव्यवस्थाओं का दौर

2000 के शुरुआती दशक में चीन, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में तेजी से आर्थिक विकास हुआ, जिन्हें सामूहिक रूप से ब्रिक्स के नाम से जाना जाता है। चीन, विशेष रूप से, अपने निर्यात-संचालित मॉडल और बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में निवेश का लाभ उठाते हुए दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। वहीं भारत अपने सेवा क्षेत्र में उछाल और जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है। इन अर्थव्यवस्थाओं ने पश्चिमी शक्तियों के पारंपरिक प्रभुत्व को चुनौती दी और बहुध्रुवीय आर्थिक व्यवस्था को जन्म दिया। उन्होंने वैश्विक संस्थाओं में अपना प्रभाव बढ़ाया है और अपने बढ़ते आर्थिक प्रभाव को दर्शाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक में सुधारों की वकालत की है।

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हेमंत ने दिया राजनीति को नया मुहावरा

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ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक क्षितिज पर पुष्कर सिंह धामी एक धूमकेतु बन कर उभरे। नई युवा दृष्टि, नया विज़न और नई इच्छा शक्ति से उत्तराखंड तरक्की की नई डगर पर चल निकला है। उत्तराखंड भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकला है, समान नागरिक संहिता, सख्त नकलविरोधी कानून देशभर में एक नज़ीर बन गए। धामी की कम बोलने और ज्यादा करने की अनूठी कार्यशैली ने उत्तराखंड के जनमानस को यकीन दिला दिया है कि उत्तराखंड की बागडोर सही और सशक्त हाथों में सौंपी गई है। अब इस यकीन को बनाए रखना ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।मौजूदा सदी में उत्तराखंड की 24 साल की विकास यात्रा का ब्योरा दे रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत।

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7वीं सदी के राजा हर्षवर्धन की तर्ज पर छह साल पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला प्राधिकरण का गठन कर ऐतिहासिक कुंभ मेले को संस्थागत रूप दिया था। 2019 के कामयाब अर्धकुंभ ने प्रयागराज के आसपास की तमाम लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी थीं। और इस कामयाबी का सेहरा योगी के सिर बंधा। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगम के सफाईकर्मियों के पांव पखार कर आशीर्वाद लेकर सबको चौंका दिया था। इस बार महाकुंभ है, करोड़ों श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए योगी की टीम तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महीने पहले ही तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इस बार का मेला कई मायनों में अनूठा होगा। पढ़िए प्रयागराज से जाने-माने पत्रकार देवेन्द्र शुक्ल की यह रिपोर्ट।

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कारोबार को लगे पंख
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21वीं सदी में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी। 2010 में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था ने 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा हासिल किया। इस मुकाम पर पहुंचने में आज़ाद भारत को 63 साल का सफर तय करना पड़ा, लेकिन ट्रिगर दब चुका था। अगले सात साल यानी 2017 तक यह दो ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई और फिर तीन साल में यानी 2020 में इसने तीन ट्रिलियन डॉलर का निशान भी पार कर लिया | अर्थव्यवस्था के हैरतअंगेज उतार-चढ़ाव और इस रफ़्तार की दिलचस्प कहानी बता रहे हैं आर्थिक मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ आलोक जोशी ।

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