तमाम कलाओं की तरह संगीत का रियाज मन को तरोताजा करता है और पूरी तरह निखार देता है, तो उसके साज-बाजे जुनूनी शिष्यों में बांटने से कम आनंद नहीं मिलता. सितारवादक पंडित शुभेंद्र राव और उनकी चेलोवादक पत्नी मैस्ट्रो सस्किया राव - डे हास - ने इसी घोषित लक्ष्य या 'मिशन' से एक अनोखा काम हाथ में लिया लेकिन उनका यह काम इससे भी कहीं आगे जाता है. उनकी यह असामान्य किस्म की आकांक्षा सचमुच चौंकाने वाली है- आज के जमाने में कौन भला यह सोचेगा कि संगीत और वह भी शास्त्रीय संगीत "बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार" है? या बच्चों के लिए संगीत की ऐसी सहज-सरल किताबों की परिकल्पना करेगा जो उन्हें सचित्र कहानियों के जरिए ताल, स्वर और बाद में राग सरीखी बुनियादी बातें सिखाएं? शुभेंद्र और सस्किया राव फाउंडेशन की पहल 'सारे गाएं' संगीत को एक स्वस्थ खुराक मानती है, एक ऐसी खुराक जो "सुकून के साथ आपस में गुफ्तगूं करने, बौद्धिक स्तर बढ़ाने और बच्चों में छिपी संभावनाएं सामने लाने में मदद करे.
शुभेंद्र-सस्किया दंपती ने सचित्र कहानियों की किताबों के जरिए संगीत के सबक सिखाने की बात सोची, ताकि एक कोने में बैठकर उन पर नजरें दौड़ाते हुए कोई बच्चा मन ही मन गुनगुनाते हुए संगीत की समझ हासिल करे. फाउंडेशन का मकसद ऐसे बच्चों और लोगों के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना है जिन्हें वह आसानी से सुलभ नहीं है, और इस तरह लोगों को उसकी लय, ताल और संगति के बारे में सचेत और जागरूक बनाना है. नाम सारे गाएं के पहले तीन अक्षरोंसा रे गा का अर्थ क्रमश: 'संग चले', 'रिश्ता जोड़ें' और 'गीत गाएं सुर में भी है.
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