अगर मुझे ऐसी किसी एक महत्वपूर्ण चुनौती का नाम लेना होता जिससे कि आने वाले दशकों में भारत को अच्छी तरह से निबटना चाहिए, तो मेरे हिसाब से वह होती एक सच्ची और मजबूत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की जरूरत. मैं इंसानी कोशिश के इस एक क्षेत्र पर इतना जोर क्यों दे रहा हूं ? दुनिया भर की कुछ सफल अर्थव्यवस्थाओं को देखने से कुछ बहुत ही उपयोगी सीख मिल सकती है. मेरी बात को कुछ खास मिसालों और आंकड़ों से सबसे अच्छी तरह से समझा जा सकता है. मैंने कुछ साल पहले गूगल चलाने वाली आइटी फर्म की एक खास तिमाही की आय पर नजर डाली थी. उस समय गूगल लगभग 10 साल पुरानी थी और दुनिया भर में उसके कर्मचारियों की संख्या लगभग 10,000 थी. मैंने भारत की शीर्ष तीन आइटी कंपनियों की साझा आय पर भी नजर डाली, जिनमें कर्मचारियों की कुल संख्या 1,50,000 से ज्यादा थी. तीनों कंपनियों ने मिलकर एक साल में जो कमाया, वह गूगल की एक-तिमाही के मुनाफे से भी कम था. इसका सबसे आसान स्पष्टीकरण यह है कि गूगल का सर्च इंजन स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्नातक जीवन के गलियारों से निकले ज्ञान के विचार पर चलता है. मैं इसे ज्ञान का क्रियान्वयन कहता हूं. गूगल सर्च इंजन बहुत ही व्यावहारिक तरीके से स्नातक स्तर के सुंदर गणित और कुछ बहुत ही सरल कोडिंग का इस्तेमाल करता है. दूसरी ओर, हमारी आइटी कंपनियां अनिवार्य रूप से मानव बल पर चल रही हैं.
Esta historia es de la edición January 15, 2025 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición January 15, 2025 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है