नेक्ससः पाषाण युग से एआइ तक सूचना-तंत्रों का संक्षिप्त इतिहास
लेखकः युवाल नोआ हरारी
प्रकाशकः मंजुल पब्लिशिंग हाउस
सेपियंसःयुवाल बताते हैं कि कहानियों ने हमें एक साथ ला दिया. पुस्तकों ने हमारे विचारों को और हमारी पौराणिक कथाओं को प्रसारित किया. इंटरनेट ने अंतहीन ज्ञान का आश्वासन दिया. लेकिन अब एल्गोरिद्म ने हमारे रहस्यों को जान लिया है और हमें एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर दिया. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ हमारा भविष्य कैसा होने वाला है? नेक्सस इस बात का रोमांचक वृत्तांत है कि हम इस मुकाम तक कैसे पहुंचे और अब इस स्थिति में जीवित बने रहने और फलने-फूलने के लिए हमें तत्काल कौन-से विकल्प अपनाने चाहिए?
> असहमति की आवाजें (इतिहास/राजनीति/विमर्श)
लेखकः रोमिला थापर
मूल किताबः वॉइसेज ऑफ डिसेंटः ऐन एसे
अनुवादकः अशोक कुमार
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
असहमति भारतीय जनजीवन का हमेशा से हिस्सा रही है. थापर की यह किताब बतलाती है कि भारतीय उपमहाद्वीप में असहमति का लंबा इतिहास रहा है, भले ही सदियों में इसके रूप विकसित या परिवर्तित हो गए हैं. लेखक असहमति की अभिव्यक्ति और उसके अहिंसक रूपों पर विचार करते हुए इसे भारतीय ऐतिहासिक अनुभव के अंग के रूप में समय के विभिन्न बिंदुओं और संदर्भों से जोड़ती हैं. वे प्राचीन वैदिक काल से शुरू करती हैं, जैन, बौद्ध, आजीविक आदि समूहों के उद्भव और इससे आगे, मध्यकाल के भक्ति संतों और अन्य के विचारों को परखती हैं. इस रास्ते वे हमें असहमति के उस प्रमुख बिंदु, महात्मा गांधी के सत्याग्रह, तक ले जाती हैं जिसने आजाद और लोकतांत्रिक भारत की स्थापना में मदद की. वे इस बात पर बल देती हैं कि किस तरह धर्म ने हमेशा सामाजिक परिवर्तन को प्रतिबिंबित किया है. वर्तमान में धर्म के राजनीतिकरण के साथ वे अपनी बात पूरी करती हैं. भारत की शीर्षस्थ पब्लिक इंटेलेक्चुअल की यह किताब उन सबके लिए एक आवश्यक पाठ है, जो न सिर्फ भारत के अतीत को बल्कि भारतीय समाज और राष्ट्र की दिशा को भी उसके सही परिप्रेक्ष्य में जानना-समझना चाहते हैं.
Esta historia es de la edición January 15, 2025 de India Today Hindi.
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सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है