लखनऊ सिविल कोर्ट के सीनियर वकील आर. के. यादव 7 जून को एससी-एसटी कोर्ट में हत्याकांड को याद करके सिहर उठते हैं. करीब पौने चार का वक्त था. यादव अपने साथी वकील के साथ एक मुकदमे की सुनवाई के सिलसिले में कैसरबाग के पुराने हाइकोर्ट परिसर से होते हुए सिविल कोर्ट जा रहे थे. वे बीच में पड़ने वाले एससी-एसटी कोर्ट के गेट के सामने से गुजर ही रहे थे कि इसी बीच पुलिस की कस्टडी में एक युवक को बाहर निकलते देखा. उस युवक से यादव करीब दस कदम ही दूर थे कि कोर्ट की बगल की सीढ़ियों थे से वकील की वेशभूषा में एक युवक अचानक आया और ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगा. यादव कुछ समझ पाते, तब तक पुलिस कस्टडी में युवक को गोली लगी और वह कोर्ट के भीतर भागा. हाथ में पिस्टल लिए दूसरा युवक भी गोलियां दागते हुए उसके पीछे दौड़ा. कुछ ही देर में लहूलुहान युवक कोर्ट में बने कठघरे के करीब जमीन पर मुंह के बल गिर गया. युवक के साथ पेशी में - आए पुलिसकर्मी भी डर के मारे इधर-उधर भागने लगे. यह मंजर देख बदहवास हुए यादव पास के एक चैंबर में घुस गए. यादव बताते हैं, “कुछ देर बाद मैंने देखा कि वकीलों ने फायरिंग कर रहे युवक को दबोच कर पीटना शुरू कर दिया था." करीब दस मिनट के इस घटनाक्रम से जब धुंधलका छंटा तो पता चला कि माफियामुख् अंसारी के बेहद करीबी कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की कोर्ट रूम में सरेआम हत्या कर दी गई है.
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परदेस में परचम
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निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
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अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
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लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.