क्यों कांप रही है सौराष्ट्र की धरती
India Today Hindi|July 19, 2023
अमूमन सौराष्ट्र की धरती को सूखा इलाका माना जाता है लेकिन पिछले दो दशकों में यह इलाका हरा-भरा हो उठा है.
जुमाना शाह
क्यों कांप रही है सौराष्ट्र की धरती

अच्छी बरसात की वजह से खेती लहलहाई और जंगलों में फिर से जान आ गई. हालांकि काठियावाड़ को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि यह वरदान आखिरकार इस क्षेत्र के लिए एक तरह का अभिशाप बन जाएगा. पिछले दो वर्षों में यहां के कई क्षेत्रों में भूकंप के झटके लग रहे हैं. रिक्टर पैमाने पर 3.4 से कम तीव्रता वाले कई छोटे भूकंप बार-बार आते रहते हैं. इन कम तीव्रता वाले झटकों से यहां के लोगों के मन में घबराहट है.

गांधीनगर में भूकंप शोध संस्थान (आइएसआर) के एक अध्ययन के मुताबिक, जरूरी नहीं कि ये हल्के झटके किसी बड़े भूकंप के पूर्व-संकेत हैं लेकिन टेक्नोलॉजी में भारी प्रगति के बावजूद भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. आइएसआर के निदेशक डॉ. सुमेर चोपड़ा बताते हैं कि गुजरात और आसपास के राज्य " दक्कन चट्टानों " पर स्थित हैं, जो लंबी कठोर चट्टान है और उसमें कई दरारे हैं. वे कहते हैं, "प्लेट अपने टेक्टोनिक सेटअप के कारण हाइड्रोलॉजिकल लोडिंग (धरती में पानी के रिसाव) से जूझ रही है. मसलन, अमरेली में पिछले कुछ वर्षों से औसत से अधिक बारिश हो रही है.' चोपड़ा बताते हैं, “इस क्षेत्र में 3 से 24 किमी की गहराई के भीतर मध्यम और कम तीव्रता वाले भूकंप आने का खतरा है."

पिछले अध्ययन से पता चला है कि जामनगर में भूकंप के झटके मानसून के मौसम में महसूस किए गए थे. भारी बारिश के बाद जल स्तर 24 मीटर तक बढ़ गया था, जिससे दबाव 2.0 बार तक बढ़ गया था. तनाव परिवर्तन से हल्के झटके आ सकते हैं.

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