मैक्स की उम्र 10 वर्ष है और इस जर्मन शेफर्ड को अपनी 41 वर्षीया मालकिन दिव्या कामत साथ मुंबई के जुहू बीच पर लंबी सैर करना बेहद पसंद है. लेकिन शायद ही किसी को पता चलता होगा कि मैक्स के फेफड़ों में रक्त पहुंचाने वाली धमनी में एक स्टेंट लगा है. इंसानों के साथ-साथ पालतू जीवों में भी स्टेंट के जरिए संकीर्ण धमनियों को खोलकर रक्त प्रवाह को ठीक किया जाता है. एक दशक पहले तक किसी ने भी कुत्तों में हृदय रोग होने के बारे में नहीं सुना होगा. लेकिन जैसे-जैसे पालतू जानवरों के मालिक बेतहाशा प्रेम उड़ेलने के चक्कर में उन्हें प्रोसेस किया हुआ खाना खिलाने लगे और उन्हें अपने साथ वातानुकूलित वातावरण में रखने लगे, मैक्स जैसे कुत्तों में भी मधुमेह, गठिया और हृदय रोग जैसी बीमारियां घर करने लगीं. वैसे भी, कुत्तों के बारे में माना जाता है कि वे अपने मालिक के प्रति बेहद वफादार होते हैं, अब तो वे अपने मालिकों की बीमारियां भी अपना रहे हैं. इंसान भी पालतू जानवरों को नई से नई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में पीछे नहीं हैं.
वैश्विक डेटा कंपनी स्टेटिस्टा के मुताबिक, 2024 तक भारत में करीब 3.1 करोड़ पालतू कुत्ते होने का अनुमान है, जो 2018 में करीब 2.0 करोड़ की तुलना में काफी ज्यादा है. पालतू जीवों की संख्या में वृद्धि ने उनकी देखभाल से जुड़े उद्योग को भी काफी विस्तार दिया है. हालांकि, कुल आकार को लेकर अनुमान तो अलग-अलग हैं लेकिन आइएमएआरसी समूह के मुताबिक, 2022 में भारत में कुत्तों के भोजन का बाजार 2.4 अरब डॉलर (20,156 करोड़ रुपए) तक पहुंच गया. राष्ट्रीय स्तर पर पालतू जानवरों के अस्पतालों की चेन मैक्स पेट्ज में पशु चिकित्सक डॉ. कुणाल शर्मा कहते हैं कि पिछले 10-15 साल में कुत्तों के खानपान और जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. इसके साथ ही पालतू जानवरों के स्वास्थ्य को लेकर भी नई चुनौतियां सामने आई हैं.
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