मामला ज्यादा बिगड़ने की एक वजह यह भी रही कि जिस एजेंसी ने परीक्षा आयोजित की थी वह कोई और नहीं बल्कि व्यापम व्यावसायिक परीक्षा मंडल है. इसका नाम 2013 में राज्य को हिलाकर रख देने वाले करोड़ों रुपए के नौकरी घोटाले में सामने आया था. अब इसका नाम बदलकर कर्मचारी चयन बोर्ड (ईएसबी) किया जा चुका है, हालांकि इस विवाद ने पुरानी यादों को फिर से ताजा तो कर दिया है.
ईएसबी ने 30 जून को ग्रुप-2 सबग्रुप-4 परीक्षा के नतीजे घोषित किए थे, जो 8, 617 अभ्यर्थियों की भर्ती के लिए आयोजित एक सामान्य परीक्षा थी. इसमें 3,555 पटवारी शामिल थे. पटवारी राजस्व विभाग के वे कर्मचारी होते हैं जिनके जिम्मे मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में भूमि दस्तावेजों के प्रबंधन और जमीनों के नाप-जोख का काम होता है.
परीक्षा में कुल 13 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया और इनमें से 9,50,000 ने परीक्षा दी. एक पखवाड़े बाद जब एक पारदर्शी पहल के तहत उत्तर पुस्तिका और दस्तावेज उपलब्ध कराए गए तो इस हंगामे की शुरुआत हुई. सरकारी भर्तियों पर नजर रखने वाले समूह राष्ट्रीय शिक्षित युवा संघ (एनईवाइयू) ने कथित गड़बड़ियों की तरफ ध्यान दिलाया. एनईवाइयू की कोर कमेटी के सदस्य रणजीत किसानवंशी ने दावा किया कि इस परीक्षा के 10 टॉपर में से आठ ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं और इनमें से सात ने यह परीक्षा ग्वालियर स्थित एनआरआइ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड मैनेजमेंट से दी है. यह कॉलेज भिंड से भाजपा विधायक संजीव कुशवाहा का है.
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