यह कोड बड़े काम का
भारत जनता से जुड़ी सेवाओं की सस्ती, सुलभ और समावेशी डिलिवरी की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. अब इसे एक नई ऊंचाई देते हुए इसको सबकी पहुंच में लाए जाने की जरूरत
इसे आप ग्राम स्वराज 2.0 कह सकते हैं. कोई भी गांव, चाहे कितना भी दूरदराज क्यों न बसा हो, जनसेवाओं की पहुंच से बाहर नहीं है. जहां राज्यसत्ता और नागरिक एक सीधी-सादी हॉटलाइन यानी मोबाइल फोन से जुड़े हैं. इसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (ओएसएस) मुमकिन बना रहे हैं, जो सस्ता, इस्तेमाल में आसान और जरूरत के हिसाब से ढाला जा सकने वाला प्लेटफॉर्म है. यही बात इसे सरकारों के लिए लीक-प्रूफ तरीकों से जनसेवाएं मुहै जरिया बना देती हैं. यह हमारे सरीखे मुल्क के लिए खास तौर पर उपयोगी है, जो इस साल चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया, और जिसके लोग भिन्न-भिन्न भूगोलों की माला में गुंथे में हैं. भारत ने इतने बड़े पैमाने पर सावर्जनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है कि दूसरे देशों में जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती. राष्ट्रीय ई-गवर्नेस योजना में 31 मिशन मोड परियोजनाएं हैं, जिनमें स्वास्थ्य से लेकर कृषि, बैंकिंग, कराधान और शिक्षा आदि तक सरकार और नागरिकों के बीच संवाद का समूचा तंत्र मौजूद है. चुनौती अब इसकी पहुंच बढ़ाकर पूरी तरह समावेशी बनाने की है.
यह गेमचेंजर क्यों है
ज्यादा तेज, सटीक और यूजर यूजर के अनुकूल डिजिटल सेवाओं के साथ ओएसएस पर आधारित प्लेटफॉर्म न केवल गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दे सकते हैं, बल्कि परिस्थितियों के अनुसार उनका आकार बढ़ाया भी जा सकता है. साथ ही ये सेवाएं इतनी गतिशील और लचीली हैं कि मांग और टेक्नोलॉजी के विकास में किसी भी बदलाव का जवाब दे सकें.
Esta historia es de la edición August 30, 2023 de India Today Hindi.
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