मजबूत किले की पहरेदारी
India Today Hindi|22 May, 2024
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद भाजपा अपने गढ़ में मजबूत नजर आ रही है. वहीं, पस्त पड़ चुकी कांग्रेस को भगवा खेमे की किसी ऐसी चूक का इंतजार है, जिसका वह फायदा उठा पाए
राहुल नरोन्हा
मजबूत किले की पहरेदारी

भोपाल विधानसभा सीट के अंतर्गत हुजूर क्षेत्र निवासी भाजपा कार्यकर्ता और 50 वर्षीय किसान कमल नाइक को 21 अप्रैल को फोन पर जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन बाद राज्य की राजधानी में एक रोड शो करने वाले हैं. नाइक उस समय उपज बेचने के लिए गेहूं खरीद केंद्र में अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे. यह बात उनकी समझ से परे थी कि आखिर भोपाल में ऐसे आयोजन की क्या जरूरत क्योंकि यह तो भाजपा का मजबूत गढ़ है और पार्टी 1989 से ही यहां शानदार जीत दर्ज करती आ रही है. बहरहाल, उन्होंने कुछ लोगों को जुटाया और निर्धारित समय पर कार्यक्रम स्थल पहुंच गए. आखिरकार, उन्हें इसके पीछे का तर्क समझ आ ही गया. चिलचिलाती धूप में प्रधानमंत्री मोदी के आगमन का इंतजार कर रहे नाइक की टिप्पणी थी, "भोपाल में जीत पहले से तय है फिर भी हमारे चुनाव लड़ने का तरीका यही है. हम आखिरी क्षण तक कोई मौका नहीं छोड़ते."

भाजपा यह लोकसभा चुनाव 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी व्यापक जीत के कुछ महीनों बाद ही होने के बावजूद कहीं कोई कसर नहीं छोड़ रही है क्योंकि वह मजबूत जनादेश हासिल करने की मंशा रखती है. अन्य राज्यों की तरह यहां भी पार्टी मुख्यतः अपने घोषणापत्र के आधार पर चुनाव लड़ रही है, जिसका शीर्षक 'मोदी की गारंटी' है. मोदी सरकार के पिछले एक दशक के कामकाज को रेखांकित करने के साथ इसमें चार प्रमुख समूहों - गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी-के विकास पर जोर दिया गया है. दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे में हर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का मुकाबला सीधे प्रधानमंत्री मोदी के साथ है, क्योंकि पार्टी अपने सबसे बड़े तुरुप के पत्ते यानी प्रधानमंत्री के सहारे एक और जोरदार जीत दर्ज करने की उम्मीद कर रही है.

वैसे, इन 'गारंटियों' के अलावा, भाजपा के चुनावी तंत्र ने कांग्रेस के खिलाफ एक तरह की मनोवैज्ञानिक जंग भी छेड़ दी है. इस वजह से खासकर बूथ स्तर के पदाधिकारियों में भगदड़ मची, और कई नेताओं के कांग्रेस छोड़ने से मुख्य विपक्षी पार्टी का मनोबल धराशायी हो गया. मध्य प्रदेश की चुनावी जंग -जहां कुल 29 सीटों में से बाकी बची आठ पर 13 मई को मतदान होना है-के चारों चरणों में भाजपा के इसी तरह हावी रहने की रणनीति के साथ मैदान में उतरने से कांग्रेस की असली लड़ाई केवल तीन-चार सीटों तक ही सिमटकर रह गई.

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