जोगिंदर राय कोइलवर के पास सोन की दो धाराओं के बीच सुरौधा टापू पर रहते हैं. उनके पास बीस बीघा जमीन है. दोनों तरफ सोन की धारा बहने के बावजूद उनकी ज्यादातर जमीन परती ही रह जाती है. सिर्फ बारिश के दिनों में वे निचले इलाके की कुछ कट्ठा जमीन पर सब्जी उगा पाते हैं. दियारा का इलाका तो खेती के लिए खूब अच्छा माना जाता है, फिर वे खेती क्यों नहीं कर पाते? यह पूछने पर जोगिंदर कहते हैं, "पहले इहां भी खूब अच्छा खेती होता था. मगर फिर पानी का लेयर डौन (डाउन) होने लगा. सब (चापा) कलबोरिंग फेल होने लगा. हमरे गांव में बिजली है नहीं, फिर खेती कैसे होगा? अगर सिंचाई का अच्छा बेवस्था हो तो यहां कम से कम 1,500 बीघा पर खेती हो सकता है."
गांव के एक जागरूक व्यक्ति मिथिलेश कुमार स्पष्ट करते हैं, "सोन में होने वाले अंधाधुंध रेत खनन की वजह से दोनों तरफ बीस से तीस फुट गहरी हो गई है और इसका असर वाटर लेवल पर पड़ा है. कभी हमारे यहां बीस फुट पर पानी निकल आता था. अब डेढ़ से दो सौ फुट बोरिंग करने पर पानी निकलता है. हमारे गांव में बिजली नहीं है, इसलिए किसान बोरिंग नहीं लगवा पा रहे. ऐसे में खेत हैं, मगर खेती नहीं होती. खेती तो छोड़िए, पीने के पानी के लिए आफत है. गांव में एक-दो चापाकल है, जिस पर पूरा गांव जाकर पानी भरता है."
सुरौधा कोइलवर नगर पंचायत का हिस्सा है. नगर पंचायत के तीन वार्ड इस टापू में आते हैं, जहां से वार्ड पार्षद चुने जाते हैं. लोग खेती कर पाएं या न कर पाएं, मगर उन्हें टैक्स म्युनिसिपालिटी की दर से चुकाना पड़ता है. यह राजधानी पटना से सिर्फ 40 किमी दूर है. केंद्रीय उर्जा मंत्री आर. के. सिंह यहां के निवर्तमान सांसद हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं. मगर इस गांव के लोगों के नसीब में आज भी बिजली-पानी नहीं है. यहां पहली बार 2018 में बिजली लाने की कोशिश की गई थी. सरकार ने सोलर ग्रिड की स्थापना की मगर वह भी डेढ़ साल बाद बंद हो गई. इस टापू पर लोग रात अंधेरे में काटते हैं और पूरा दिन पानी के जुगाड़ में हैंडपंप चलाते हैं.
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