तो यह थी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल की हमारी आज की प्रस्तुत "..." आपको अच्छी लगी हो तो परिजनों-मित्रदोस्तों को भी देखने भेजें खराब लगी हो तो भी सोशल मीडिया पर लिखें." अभिनेता, स्टेज डिजाइनर और एनएसडी रेपर्टरी या कि रंगमंडल के निदेशक 43 वर्षीय राजेश सिंह अपने तनिक बिहारी लहजे में ऑडियंस से एक राब्ता कायम करने की कोशिश करते हैं. और कामयाब भी हो रहे हैं. दिल्ली के एनएसडी कैंपस के अभिमंच सभागार में दसेक परिचितों को साथ लेकर आई एक दर्शक उन्हें राजेश से मिलवाती है, इस खिलखिलाती टिप्पणी के साथ कि "मुझे नाटक (बाबूजी) अच्छा लगा था, तभी इन्हें लाने का रिस्क उठाया."
यह संकेत था कि रेपर्टरी के नाटकों के बारे में दर्शकों का नजरिया बदलने लगा है. पर यह रातोरात नहीं बदला. एक वक्त था जब 60 साल पुरानी इस कंपनी के नाटकों को देखने के लिए टक्रैश हुआ करता था. 2004-05 तक भी इसका अच्छा-खासा क्रेज था. उसके बाद वक्त और एनएसडी की खुद की बेरुखी ने इसमें बट्टा लगा दिया. पिछले पांचेक साल में विद्यालय में स्थायी निदेशक न होने का भी इसे खामियाजा भुगतना पड़ा. एनएसडी से ही पढ़ी रंगमंडल की एक अभिनेत्री याद करती हैं, "हम स्टुडेंट्स तो कैंपस में ही होते थे पर रेपर्टरी के नाटक देखने की इच्छा नहीं करती थी. हम कहते थे कि जिंदगी में जो कुछ न कर सके, वह रेपर्टरी में नौकरी करने जाएगा. पर अब स्टुडेंट्स यहां मौका पाने के लिए बाकायदा तैयारी करने लगे हैं."
Esta historia es de la edición June 05, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición June 05, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही