![“लोकसभा चुनाव लड़ने को कई पार्टियों ने फोन किया”](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1719802947/articles/lNXpysWri1719818103786/1719818326991.jpg)
● राजनीति में आने और चुनाव लड़ने पर :
मुझे अपने गुस्से पर काबू करना नहीं आता. मैं किसी पार्टी में कैसे रह सकता हूं. कल को कोई बात बुरी लगी तो पार्टी अध्यक्ष के मुंह पर बोल दूंगा, ऐसा कहां चल पाएगा. लेकिन सभी पार्टियों ने बुलाया, इस बार के लोकसभा चुनाव में भी इलेक्शन लड़ने के लिए फोन आया. शरद राव ने पूछा था कि इलेक्शन में खड़े हो रहे हैं क्या? क्योंकि उनको पता चला था कि किसी और पार्टी से नाम चल रहा था मेरा. मुझे भी उन्हीं से पता चला लेकिन सब अफवाहें थीं. ऐसी बातें तो चलती रहती हैं. मुझे खुशी है कि कई ऐक्टर चुनकर संसद पहुंचे हैं.
● विधु विनोद चोपड़ा के बारे में :
उसके साथ काम की बहुत-सी यादें हैं जो बहुत बकवास हैं. इसीलिए मुझे विधु बहुत पसंद नहीं है. परिंदा (1989) के टाइम उनसे इसीलिए मन खटका, क्योंकि कोई सीन है मान लो, उसके लिए ऐक्टर अपने दिमाग में तैयारी कर रहा है. वो किरदार के जोन में जाने की कोशिश कर रहा है और आप उसके कान के पास चिल्लाओगे तो फिर ऐक्टर का सुर बिगड़ जाएगा न. ( ये पूछने पर कि वो कहते हैं आपसे उन्होंने गालियां सीखीं) अब उनको मुझसे यही सीखने लायक लगा तो सीखा होगा उन्होंने, मैंने तो उनसे झूठ बोलना नहीं सीखा न.
● वेलकम (2007), उसके सीक्वल और अनीस बज्मी परः
वेलकम जैसी हल्की फुल्की फिल्म मैं बार-बार नहीं कर पाऊंगा. सिनेमा जैसे माध्यम का इस्तेमाल और ज्यादा जरूरी बात कहने के लिए होना चाहिए. हमारे लिए वो जॉनर अलग था. अनीस बज्मी ने कहा कि उदय का रोल नाना आप बहुत अच्छा करोगे, तब मैंने कहा था कि तू मां कसम तू खाकर बोल कि अच्छा करूंगा (हंसते हैं). उसने कहा भी कि मां कसम आप अच्छा करोगे. एक चीज और कि अगर अनिल (अनिल कपूर) और मैं दोनों हैं तभी वेलकम है. उसको या मुझे निकाल दो तो नहीं बन पाएगी वेलकम. उसका सीक्वल उतना चला नहीं. वेलकम 3 के लिए मुझे ऑफर आया था लेकिन अब बस हो गया. मैं उसमें नहीं हूं और अनिल भी नहीं है.
● फिल्म तिरंगा, क्रांतिवीर और राजकुमार के बारे में:
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![घाट-घाट की प्रेरणा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/LUUVJOPjd1719819069912/1719819253094.jpg)
घाट-घाट की प्रेरणा
कलाकार परेश मैती वेनिस की बिनाले कला प्रदर्शनी पर्सनल स्ट्रक्चर्स में रखे अपने इंस्टालेशन जेनेसिस के बारे में
![रहस्य और रोमांच का मॉनसून](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/vOkc6YFrx1719818330161/1719819068439.jpg)
रहस्य और रोमांच का मॉनसून
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![“लोकसभा चुनाव लड़ने को कई पार्टियों ने फोन किया”](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/lNXpysWri1719818103786/1719818326991.jpg)
“लोकसभा चुनाव लड़ने को कई पार्टियों ने फोन किया”
दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर ने एक्टिंग के अपने तरीके, फिल्मों, दर्शन, दोस्तों और किसानों के लिए बनाए ट्रस्ट समेत जीवन के कई पहलुओं पर इंडिया टुडे हिंदी और लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी से खुलकर बात की. पेश है बातचीत का संपादित अंशः
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दुनिया में ब्राजील के बाद रोबस्टा बीन्स के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक वियतनाम में सूखा पड़ने से आपूर्ति में रुकावट आई. इससे भारत के बागान मालिकों की हुई चांदी
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बेरोजगार युवाओं-युवतियों को नौकरी देने के नाम पर उनके साथ ठगी, यौन शोषण और क्रूरता की दहला देने वाली कहानियां
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आर्थिक मंदी ने आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े छात्रों की नौकरी पर असर दिखाना शुरू कर दिया है. ऐसे संस्थानों की डिग्री अब नौकरी पक्की होने की गारंटी नहीं रही
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“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के फौरन बाद धर्मेंद्र प्रधान को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों को लेकर उठे तूफान से निबटना पड़ा. इस मामले में विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली. इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर अनिलेश एस. महाजन के साथ 25 जून को एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधान ने इस संकट से पार पाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे की चुनौतियों के बारे में दोटूक और खरी-खरी बात की. इसी बातचीत के अंशः
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तमाशा बनी परीक्षाएं
पर्चा लीक और कई खामियों से चार राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं और करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विवादों के भंवर में. उसमें सुधार और पारदर्शिता वक्त की जरूरत बना
![सूरत बदलने का इंतजार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/WpzST80kY1719813845279/1719814029267.jpg)
सूरत बदलने का इंतजार
यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.