● राजनीति में आने और चुनाव लड़ने पर :
मुझे अपने गुस्से पर काबू करना नहीं आता. मैं किसी पार्टी में कैसे रह सकता हूं. कल को कोई बात बुरी लगी तो पार्टी अध्यक्ष के मुंह पर बोल दूंगा, ऐसा कहां चल पाएगा. लेकिन सभी पार्टियों ने बुलाया, इस बार के लोकसभा चुनाव में भी इलेक्शन लड़ने के लिए फोन आया. शरद राव ने पूछा था कि इलेक्शन में खड़े हो रहे हैं क्या? क्योंकि उनको पता चला था कि किसी और पार्टी से नाम चल रहा था मेरा. मुझे भी उन्हीं से पता चला लेकिन सब अफवाहें थीं. ऐसी बातें तो चलती रहती हैं. मुझे खुशी है कि कई ऐक्टर चुनकर संसद पहुंचे हैं.
● विधु विनोद चोपड़ा के बारे में :
उसके साथ काम की बहुत-सी यादें हैं जो बहुत बकवास हैं. इसीलिए मुझे विधु बहुत पसंद नहीं है. परिंदा (1989) के टाइम उनसे इसीलिए मन खटका, क्योंकि कोई सीन है मान लो, उसके लिए ऐक्टर अपने दिमाग में तैयारी कर रहा है. वो किरदार के जोन में जाने की कोशिश कर रहा है और आप उसके कान के पास चिल्लाओगे तो फिर ऐक्टर का सुर बिगड़ जाएगा न. ( ये पूछने पर कि वो कहते हैं आपसे उन्होंने गालियां सीखीं) अब उनको मुझसे यही सीखने लायक लगा तो सीखा होगा उन्होंने, मैंने तो उनसे झूठ बोलना नहीं सीखा न.
● वेलकम (2007), उसके सीक्वल और अनीस बज्मी परः
वेलकम जैसी हल्की फुल्की फिल्म मैं बार-बार नहीं कर पाऊंगा. सिनेमा जैसे माध्यम का इस्तेमाल और ज्यादा जरूरी बात कहने के लिए होना चाहिए. हमारे लिए वो जॉनर अलग था. अनीस बज्मी ने कहा कि उदय का रोल नाना आप बहुत अच्छा करोगे, तब मैंने कहा था कि तू मां कसम तू खाकर बोल कि अच्छा करूंगा (हंसते हैं). उसने कहा भी कि मां कसम आप अच्छा करोगे. एक चीज और कि अगर अनिल (अनिल कपूर) और मैं दोनों हैं तभी वेलकम है. उसको या मुझे निकाल दो तो नहीं बन पाएगी वेलकम. उसका सीक्वल उतना चला नहीं. वेलकम 3 के लिए मुझे ऑफर आया था लेकिन अब बस हो गया. मैं उसमें नहीं हूं और अनिल भी नहीं है.
● फिल्म तिरंगा, क्रांतिवीर और राजकुमार के बारे में:
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