इन्फ्रास्ट्रक्चर - ₹11.11 लाख करोड़ बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत खर्च के तहत आवंटन. 2023-24 में यह 10 लाख करोड़ रुपए था. यानी उसके मुकाबले करीब 11 फीसद की बढ़ोतरी है
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकालों में कनेक्टिविटी सुधारने, लॉजिस्टिक लागत घटाने और भारत का कारोबारी माहौल बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दिया. यह जोर इस साल के बजट में भी बना हुआ है, हालांकि इस बार बड़ी नई घोषणाएं नहीं की गईं. लेकिन किसी गफलत में मत रहिए. 11.11 लाख करोड़ रुपए का अनुमानित पूंजीगत खर्च अभी भी जीडीपी का करीब 3.4 फीसद है. हालांकि पिछले साल के बजट में 10 लाख करोड़ रु. के प्रावधान से यह 11 फीसद ज्यादा है. पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजी निवेश परिव्यय 33 फीसद बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रु. कर दिया था जो जीडीपी का 3.3 फीसद था. यह 2019-20 के आंकड़ों से लगभग तीन गुना है. वास्तव में 10 साल तक बुनियादी ढांचे को अपनी खर्च योजनाओं के केंद्र में रखने के बादजिसमें नए राजमार्ग, रेलवे और हवाई अड्डों का प्रावधान है - केंद्र ने अबकी इसे थोड़ा कम महत्व दिया है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबराय कहते हैं, "जो चीज टूटी ही नहीं उसे क्यों जोड़ना? राजमार्ग और रेलवे जैसे क्षेत्रों ने सफलता की कहानियां लिखी हैं. और उन्होंने पिछले कुछ सालों में किए गए पूंजी खर्च के बल पर अपनी क्षमताओं में काफी विस्तार किया है." अपने बजट भाषण में सीतारमण ने भी 'बुनियादी ढांचे के लिए मजबूत वित्तीय समर्थन बरकरार रखने' का संकल्प जताया. बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के मकसद से केंद्र ने लंबी अवधि के ब्याज मुक्त ऋण के मद में 1.5 लाख करोड़ रु. का प्रावधान किया है. इसके अलावा बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को समर्थनकारी नीतियों और वायबिलिटी गैप फंडिंग (कमी होने पर धन उपलब्ध कराना) के जरिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
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