इंडिया टुडे के इस विशेष अंक में पूछा गया है: भारत वैश्विक दिग्गज कैसे बन सकता है? इसमें कोई शक नहीं है. अगर हम 6.5 फीसद की दर से बढ़ते रहे, जो पिछले 30 साल से औसत वृद्धि है, तो हम जल्द ही दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होंगे. हम 2047 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी होने की वजह से एक विशाल अर्थव्यवस्था बन जाएंगे. लेकिन हम तब तक अमीर नहीं होंगे-एक उच्च-मध्यम आय वाले देश के रूप में, हम आज की विकसित दुनिया से काफी नीचे होंगे. बेहतर करने के लिए हमें मैन्युफैक्चरिंग और भारतीय फर्मों की महत्वाकांक्षा को विकास के केंद्र में रखना होगा.
सबसे पहले, नीति के बारे में दो टूक: यह कोई ऐसा लेख नहीं है जिसमें तर्क दिया गया हो कि सरकार को चीजों की एक सूची बनानी चाहिए. मेरे ख्याल से सरकार की भूमिका केवल उन चीजों तक ही सीमित रहना है जो केवल वह कर सकती है. मैन्युफैक्चरिंग में, राज्य को मुख्य रूप से हस्तक्षेप न करने वाला दृष्टिकोण अपनाना चाहिए - टेक्नोलॉजी, फर्मों का चयन न करें, विशेष उद्योगों को बढ़ावा न दें और विशेष क्षेत्रों को प्रोत्साहित न करें. यानी, भारतीय उद्योग को सक्षम बनाएं; विजेताओं को चुनने की कोशिश न करें. हमारी औद्योगिक नीति को जर्मनी जैसा भविष्य तलाशना चाहिए, जिसमें हजारों विशेषज्ञ ग्लोबल लीडर हों, न कि चीन या दक्षिण कोरिया की तरह जिनमें से प्रत्येक में कुछ दर्जन विशाल राज्य-प्रायोजित चैंपियन हों.
Esta historia es de la edición August 28, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición August 28, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.