गोयल ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, "ई-कॉमर्स की इस विशाल बढ़त के साथ क्या हम बड़ा भारी सामाजिक उथल-पुथल पैदा करने जा रहे हैं? मेरे लिए यह गर्व की बात नहीं कि हमारे बाजार का आधा हिस्सा आज से 10 साल बाद ई-कॉमर्स नेटवर्क का हिस्सा बन जाए, यह चिंता की बात है."
उनकी टिप्पणियां ऐसे समय आईं जब भारत में ई-कॉमर्स के कारोबार में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है. वित्त वर्ष 22 में अनुमानित 83 अरब डॉलर (करीब 7 लाख करोड़ रु.) के इस बाजार के वित्त वर्ष 26 तक 16 फीसद की सालाना चक्रवृद्धि दर से 150 अरब डॉलर (12.6 लाख करोड़ रु.) पर पहुंचने की उम्मीद है. यह बढ़ोतरी कई कारणों से होगीः बढ़ता मध्यम वर्ग, इंटरनेट की बढ़ती पैठ, स्मार्टफोन का विस्तार और यूपीआइ के बढ़ता भुगतान. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की इस साल प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिटेल बाजार 2023 में कुल करीब 820 अरब डॉलर (69 लाख करोड़ रु.) का होने का अनुमान था.
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परदेस में परचम
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अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
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ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
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