दुनियाभर में श्रीलंका की पहचान बन चुका हिंद महासागर की लहरों से घिरा कोलंबो का गाल फेस आजकल एक अजीब-सी शांति से भरा है. समुद्र तट पर हर तरफ परिवार के साथ आए लोगों की भीड़ है, लोग बॉल से खेलते नजर आते हैं और खाने-पीने की दुकानों पर बिक रही फ्राइड फिश का लुत्फ भी उठा रहे हैं. लेकिन करीब दो साल पहले जुलाई 2022 में यह अरागालया (सिंहली भाषा में इसका आशय होता है संघर्ष) बना हुआ था, जहां हर तरफ बस आक्रोश से भरे लोगों का जमावड़ा दिख रहा था. आर्थिक बदहाली से गुस्साए लोग राजपक्षे बंधुओं के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उस समय महंगाई दर 100 फीसद से ऊपर पहुंच चुकी थी. गाड़ियों के लिए ईंधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा था, और अनाज तथा उर्वरक संकट झेल रहा श्रीलंका आर्थिक कंगाली के कगार पर पहुंच गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति पद पर आसीन उनके छोटे भाई गोटाबाया दोनों को न केवल इस्तीफा देना पड़ा बल्कि बेकाबू भीड़ के आवासीय परिसरों में घुसने के बाद तो सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा.
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मिले सुर मेरा तुम्हारा
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हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
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'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
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