प्र. इस चुनाव की कितनी अहमियत है?
● उमर अब्दुल्ला : जम्मू-कश्मीर में यह विधानसभा चुनाव भारत सरकार की तरफ से काफी मारामारी और चीखने-चिल्लाने के बाद हो रहा है. उन्हीं पर छोड़ देते तो हमारे यहां ये चुनाव नहीं होते. यह चुनाव सितंबर की 30 तारीख से पहले करवाने का फरमान देकर सुप्रीम कोर्ट ने उन पर थोपा है.
● महबूबा मुफ्ती : नई दिल्ली ऐसा दिखाने की कोशिश कर रही है कि मानो उसने हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है. हालात में सुधार के उनके तमाम दावों के बावजूद चुनाव करवाने में उन्हें 10 साल लगे जो लोकतंत्र में रूटीन होने चाहिए थे. यह बदकिस्मती की बात है.
● जितेंद्र सिंह : यह लोकतांत्रिक आकांक्षाओं का फिर से उभरना है- हाल के लोकसभा चुनाव के भारी मतदान में हमने यह देखा. पहली बार लोगों को लगा कि उन्हें अपने नुमांइदे चुनने का मौका मिला है और इसमें कोई हेरफेर नहीं होगी.
● तारिक हमीद कर्राः यह गैरमामूली चुनाव है. जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए यह आला दर्जे की अहमियत रखता है.
● इंजीनियर रशीदः यह चुनाव तथाकथित नए कश्मीर की मोदी की कोशिशों को हराएगा. इसकी बदौलत लोग इस उपमहाद्वीप को सारे गड़बड़झाले से बाहर निकाल पाएंगे और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि कश्मीर मुद्दे का हल निकाला जाए.
● सज्जाद लोनः जमीन पर मुझे बहुत ज्यादा जोश दिखाई नहीं देता. एक वजह तो यह है कि यह उस राज्य विधानसभा के लिए है जिसके पास लोगों की राय में उनकी जिंदगियों में बदलाव लाने के लिए बहुत ज्यादा अधिकार नहीं होंगे. दूसरी वजह यह हो सकती है कि यह खेती का मौसम है और लोग काम में मशगूल हैं. इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया को इसके बारे में सोचना चाहिए था.
● अल्ताफ बुखारीः नई दिल्ली ने हमसे जो छीन लिया है, उसे वापस पाने की दिशा में यह पहला कदम है. जम्मू और कश्मीर के लोगों को लगता है कि ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका बैलट के जरिए है.
● रवींद्र रैनाः यह चुनाव जम्मू और कश्मीर के नसीब और तकदीर का फैसला करेगा. दुनिया एक नया कश्मीर देख रही है.
प्र. चुनाव के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
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