उसका वे ऐसा गजब इस्तेमाल करते हैं कि उनके मुरीद मुस्करा लेते हैं, उनका ज्ञान भी बढ़ता है और दुनिया के बारे में उन्हें एक नजरिया भी मिलता है. जब आप खुद को दुनिया के साथ कदमताल करने के काबिल नहीं पाते तो वे आपको दुनिया या खुद को बहुत गंभीरता से न लेने की सीख देकर परेशानियों से आपका ध्यान हटाने में मदद करते हैं. या अगर आप गंभीर दिखना चाहते हैं तो वे अहम मामलों में आपके गाइड बन जाते हैं, आपकी राय को सही ढंग से पेश करते हैं और आपके विचारों के आसमान को ऊंचाई देते हैं.
इस मीडियम में आपको ध्रुव राठी भी मिलेंगे और रवीश कुमार भी. एक जो छिटक - भटक कर इसमें पहुंचे, दूसरे जो इसी के जरिए अस्तित्व में आए और जो बेरोकटोक आलोचनाओं-टिप्पणियों के जरिए सियासी राय बनातेबिगाड़ते हैं. फिर, हास्य कलाकार जाकिर खान, वीर दास और अनुभव बस्सी ने तो कॉमेडी को व्यापक पहुंच और भरपूर पैसे का धंधा बना डाला है. और किसने सोचा होगा कि यूट्यूबर भी खास बन जाएंगे ? लेकिन उन्होंने अपनी जगह बखूबी बना ली है. कैरीमिनाटी और रणवीर अलाहाबादिया के आसान घरेलू नुस्खे दुनिया को लुभा रहे हैं. यहां तक कि आध्यात्मिक गुरु भी अब पहले जैसे नहीं रहे. चाहे सद्गुरु हों या श्री श्री, वे आधुनिक दुनिया के लिए ऐसे धर्म का प्रचार कर रहे हैं, जो प्रकृति, खुद के साथ और एक-दूसरे के साथ सद्भाव से रहने पर केंद्रित है.
1 ध्रुव राठी, 30 वर्ष यूट्यूबर, एजूकेटर
व्यूज तो देखिए जरा !
● क्योंकि समाचार रिपोर्टों, वीडियो फुटेज और सामाजिक-राजनैतिक डेटा से जानकारी को छानकर सीधे, दो-टूक समझाने की उनकी काबिलियत ने युवाओं को उनका कायल बनाया है और लोगों को राजनैतिक सामग्री के लिए मुख्यधारा के मीडिया मंचों से दूर उनके नाम वाले चैनलों की ओर मोड़ा है.
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मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
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भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.