तो क्या सांची पर भारी पड़ेगा अमूल?
India Today Hindi|November 20, 2024
गाजय तो गाय, अब दूध भी मध्य प्रदेश में सियासी मुद्दा बनता जा रहा है. राज्य सरकार ने एमपी राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) का नियंत्रण पांच साल के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंपने का फैसला किया तो हंगामा मच गया.
राहुल नरोन्हा
तो क्या सांची पर भारी पड़ेगा अमूल?

सहकारिता विभाग ने हस्तांतरण के प्रारूप को लगभग अंतिम रूप दे दिया है जिसके बाद दोनों संस्थाओं के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि यह राज्य के घरेलू ब्रांड 'सांची' के दबदबे को खत्म करके पिछले दरवाजे से अमूल के प्रवेश को आसान बनाने के लिए किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश देश का तीसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है और इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं. राज्य सरकार का तर्क है कि उसने सांची ब्रांड में नई जान फूंकने के लिए इसके प्रबंधन और परिचालन का नियंत्रण एनडीडीबी को सौंपने का निर्णय लिया. मगर अभी क्यों? खैर, वर्तमान में राज्य की सहकारी दुग्ध समितियों का वार्षिक कारोबार 2,200 करोड़ रुपए है, मगर अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि पिछले कुछ वर्षों में इसमें बहुत कम वृद्धि हुई है.

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