उसको लेकर अब एक अहम कानूनी और सियासी घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट उन ऑडियो रिकॉर्डिंग की जांच करने पर राजी हो गया है जिनसे कथित तौर पर पता चलता है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह उस हिंसा में शामिल थे. यह फैसला देश के सबसे अस्थिर राज्य संकटों में एक की अदालती निगरानी में अहम कदम है. इस पूर्वोत्तर राज्य में महीनों से जारी अशांति से 230 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और तकरीबन 60,000 लोग विस्थापित हो गए हैं, और दोनों समुदायों के बीच भीषण ध्रुवीकरण हुआ. ग्रामीण इलाकों से हिंसा की छिटपुट घटनाएं अब भी सामने आ रही हैं। जिससे शांति बिगड़ने का खतरा बना हुआ है.
यह मामला कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्युमन राइट्स ट्रस्ट (केओएचआरटी) की ओर से सामने लाया गया. बंद कमरे में हुई एक कथित बैठक की रिकॉर्डिंग को इसका आधार बनाया गया है जिसमें बीरेन को कथित तौर पर हिंसा का समर्थन करने, हथियारों की लूट को प्रोत्साहित करने और उग्रवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को बचाने की बात को स्वीकार करते सुना जा सकता है. उन टेपों की अदालती जांच का न सिर्फ मणिपुर के सियासी परिदृश्य, बल्कि सरकारी पद की जवाबदेही के व्यापक प्रश्न को लेकर भी गहरा असर पड़ सकता है.
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