उत्तरकाशी हादसे में 17 दिनों तक सुरंग में फंसे 41 मजदूरों की जान आखिरकार उन्हीं जैसे मजदूरों ने बचाई। जहां मशीन और टेक्नोलॉजी काम नहीं आई, वहां ये मजदूर काम आए, जिनके काम को भी गैर-कानूनी बताया जा चुका था। वाकई वे 2023 की सुर्खियों के सरताज हैं। लेकिन हकीकत यह भी है कि आज देश में उन्हें भले नायक की तरह पेश किया जा रहा है, वे इसलिए जिंदा हैं क्योंकि उनका ठेकेदार उन्हें जिंदा रखे हुए है। भले साल में चार-पांच महीने का ही काम मिलता हो, लेकिन ये लोग जिंदा हैं, यही गनीमत है। नसीरुद्दीन पूछते हैं कि क्या उन्हें भी सरकारी मजदूर जैसा हक नहीं है? सरकारी ठेकों में प्राइवेट लेबर की जान जोखिम में क्यों डाली जाती है? सवाल वाजिब है। सरकार ने अगर 2014 में रैटहोल माइनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, तो ये काम करने वाले लोग अब तक कैसे इसी के सहारे घर-परिवार चला रहे हैं? क्या मानवाधिकार की बातें केवल कागज पर ही होंगी? बाहर समाज में नहीं? सिर्फ इसलिए क्योंकि जिन कामों को यह समाज गर्हित, नीच और तुच्छ मानता है वे काम शहरी समाज के लाभ और सुविधा के हित जारी रहने चाहिए?
ग्रेटर नोएडा में पिछले दिनों आठ सौ सफाई मजदूर हड़ताल पर चले गए थे। पूरे शहर में प्राधिकरण के लिए चौदह सौ सफाई मजदूर काम करते हैं। इनमें आधे से ज्यादा के बैठ जाने से शहर की साफ-सफाई का सारा काम ही ठप पड़ गया। महीने भर के आंदोलन के बाद अंततः ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को मजदूरों से बात करनी पड़ी और उनकी मांगों पर सुनवाई के लिए एक कमेटी बना दी गई। इसके बावजूद यह गारंटी नहीं है कि उनकी मांगें मानी जाएंगी क्योंकि शहरी आदमी के सोचने की दलील यही रहती आई है कि अगर ये लोग बैठ जाएंगे तो उनके काम कौन करेगा। गोया ये लोग पैदा ही हुए हों मनुष्य जीवन में तमाम गर्हित कामों को करने के लिए! और यह अटकल नहीं है, वाकई हकीकत है कि कुछ खास जातियों में जन्मे लोगों को ही कुछ खास कामों के लिए यह समाज आरक्षित मानता है।
Esta historia es de la edición January 08, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición January 08, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम