तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
Outlook Hindi|January 06, 2025
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
मनीष पांडेय
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे

न तरपत.... हरि दरसन को आज... सुनते ही मोहम्मद रफी के सुर की मसीहाई रूह तक पहुंच जाती है। आवाज का वह जादुई एहसास आपको किसी और दुनिया में ले जाता है, जो बेशक अपने दौर की संवेदनाएं समेटे हुए है। उसमें आजादी के बाद की दौर की उम्मीदें, आकांक्षाएं, प्रेम, सद्भावना, भाईचारे की जैसे मिठास है, जिसमें उस वक्त के प्रभावी गांधी और नेहरूवाद की खनक है। रफी साहब के दुनिया को अलविदा कहे 44 साल हो गए, लेकिन उनके सुर हमेशा वही एहसास जगाते रहेंगे। रफी ने पार्श्व गायकी को नई ऊंचाई दी। उन्होंने गायकी में अदायगी का नया रंग घोला। इस भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसे लोगों की संख्या अब भी लाखों में होगी जिनका मानना है कि हिंदुस्तानी फिल्म संगीत के शहंशाह तो मोहम्मद रफी ही हैं।

रफी को गाने का शौक दस साल की उम्र में लगा। उनके मोहल्ले में एक फकीर आया करता था, जो गाना गाकर लोगों से भीख मांगता था। रफी के ऊपर उस फकीर की आवाज का जादुई असर हुआ। उनके भीतर ललक पैदा हुई कि वह भी ऐसा ही गाएं। एक महान गायक के सांगीतिक सफर की शुरुआत इस तरह से हुई। रफी के लिए यह सफर आसान नहीं था। जब उन्होंने गाना शुरू किया तो सबसे अधिक विरोध उनके पिता ने किया। गाने के कारण घर में उनकी पिटाई भी हुई, लेकिन रफी के लफ्जों में कहें तो जीत संगीत की हुई। समर्पण, जुनून के साथ की गई मेहनत रंग लाई और संगीत जगत के आसमान में उनका चमकता सितारा बुलंद हुआ।

रफी को पहली बार मंच पर गाने का मौका भी जिस तरह से मिला, वह कहानी पूरी तरह फिल्मी है। एक बार हिंदी सिनेमा के महान गायक कुंदन लाल सहगल लाहौर में एक स्टेज शो के लिए पहुंचे। उस शो में रफी भी मौजूद थे। उनकी उम्र तब सिर्फ तेरह साल की थी। उनमें गायकी को लेकर बहुत ललक थी। जब उन्हें पता लगा कि महान गायक सहगल कार्यक्रम में गाएंगे तो वह सबसे पहले आकर बैठ गए, लेकिन नसीब ने तो कुछ और ही तय कर रखा था। सहगल की प्रस्तुति से पहले ही वहां बिजली गुल हो गई। जब काफी देर तक बिजली नहीं आई तो श्रोताओं का धैर्य जवाब देने लगा। आयोजकों को कुछ सूझ नहीं रहा था कि भीड़ को कैसे शांत करें। तभी किसी ने आयोजकों से कहा कि जब तक बिजली नहीं आती, तब तक एक लड़के को गाने का मौका दिया जाए। आयोजकों के पास कोई और विकल्प नहीं था। उन्होंने जिस लड़के को गाने का मौका वह कोई और नहीं, मोहम्मद रफी थे।

Esta historia es de la edición January 06, 2025 de Outlook Hindi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición January 06, 2025 de Outlook Hindi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE OUTLOOK HINDIVer todo
'वाह उस्ताद' बोलिए!
Outlook Hindi

'वाह उस्ताद' बोलिए!

पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते

time-read
4 minutos  |
January 06, 2025
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
Outlook Hindi

सिने प्रेमियों का महाकुंभ

विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव

time-read
3 minutos  |
January 06, 2025
विश्व चैंपियन गुकेश
Outlook Hindi

विश्व चैंपियन गुकेश

18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा

time-read
3 minutos  |
January 06, 2025
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
Outlook Hindi

सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप

भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात

time-read
10 minutos  |
January 06, 2025
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
Outlook Hindi

रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना

एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी

time-read
5 minutos  |
January 06, 2025
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
Outlook Hindi

हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान

मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी

time-read
5 minutos  |
January 06, 2025
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
Outlook Hindi

तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे

रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी

time-read
10 minutos  |
January 06, 2025
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
Outlook Hindi

'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'

लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।

time-read
5 minutos  |
January 06, 2025
आधी हकीकत, आधा फसाना
Outlook Hindi

आधी हकीकत, आधा फसाना

राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां

time-read
8 minutos  |
January 06, 2025
संभल की चीखती चुप्पियां
Outlook Hindi

संभल की चीखती चुप्पियां

संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी

time-read
6 minutos  |
January 06, 2025