अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह देश के लिए महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक पल है। इसके कई निहितार्थ हो सकते हैं। सबसे पहला तो यही कि यह मंदिर महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में उभरेगा, जो भारत और विदेश में हिंदू समुदाय पर स्थायी सांस्कृतिक और सभ्यतागत प्रभाव डालने वाला होगा। दूसरा, विभिन्न धार्मिक आस्थाओं से जुड़े लोगों के लिए यह प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। तीसरा, यह दुनिया भर के हिंदुओं के लिए गौरव का प्रतीक बनकर उभर सकता है। गौरव के इस एहसास का प्रभाव लोगों को संगठित या लामबंद करने के लिए भी हो सकता है जिसका आने वाले वर्षों में सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव दिखने की संभावना है।
मेरी विशेषज्ञता का क्षेत्र राजनीतिक मानवविज्ञान आधारित विश्लेषण है, इसलिए लोग मुझसे पूछते रहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के राजनीतिक निहितार्थ क्या होंगे। इसमें संदेह नहीं कि यह घटना भारतीय राजनीति पर वाकई असर डालेगी । निश्चित रूप से यह घटना आगामी आम चुनावों की प्रक्रिया और परिणाम को प्रभावित कर सकती है। मंदिर के उद्घाटन का प्रभाव सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों को ही को प्रभावित करेगा।
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शहरनामा - हुगली
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मराठी महाभारत
यह चुनाव उद्धव ठाकरे और शरद पवार की अगुआई वाली क्षेत्रीय पार्टियों के लिए अपनी पहचान और राजनैतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई, तो सत्तारूढ़ भाजपा के लिए भी उसकी राजनीति की अग्निपरीक्षा
पहचान बचाओ
मराठा अस्मिता से लेकर आदिवासी अस्मिता तक चले अतीत के संघर्ष अब वजूद बचाने के कगार पर आ चुके
आखिर खुल गया मोर्चा
जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच बढ़ने लगा तनाव, यूटी दिवस पर शीत युद्ध गरमाया