सब कुछ किसी फिल्मी कहानी की तरह था। छोटे-से चंडीगढ़ के नगर निगम का चुनाव सरेआम धांधली और अदालती हथौड़े के बजने की मिसाल बन गया। दोनों ही तरह की घटनाएं ऐतिहासिक थीं, यानी पहले कभी ऐसा न देखा, न सुना गया। 30 जनवरी को निगम के मेयर के वोटों की गिनती के वक्त पीठासीन अधिकारी का मतपत्रों पर निशान लगाकर आठ वोट रद्द करते वीडियो वायरल हो गया। 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारी को अदालत में बुलाकर दंडित करने और उसी गिनती के आधार पर विजेता बदलने का फैसला सुनाया। इस तरह आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन के कुलदीप कुमार धालोर मेयर बन गए, जो पहले धांधली की वजह से हार गए थे। गिनती के दिन विजेता बताए गए भाजपा के मनोज सोनकर अदालती सुनवाई शुरू हाते ही इस्तीफा देकर निकल गए। इससे ‘इंडिया’ गठबंधन को संजीवनी मिल गई है। आप के राष्ट्रीय संयोजक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान और लोकतंत्र की जीत’ बताया।
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