बिहार में 7 मई को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के चुनाव खत्म होने के पहले तक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने 100 से ज्यादा रैलियां कीं, लेकिन 3 मई को अररिया की चुनावी सभा में कमर दर्द के कारण उन्हें सुरक्षाकर्मियों की मदद से मंच से उतरना पड़ा। दो दिन बाद उन्हें पटना एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर पर देखा गया। उनके स्वास्थ्य को लेकर समर्थकों का चिंतित होना स्वाभाविक था। आखिरकार प्रदेश में अकेले तेजस्वी के कंधों पर इस चुनावी समर में महागठबंधन की जीत दर्ज कराने की जिम्मेदारी है। कहने को तो राजद कांग्रेस, वाम दलों और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के साथ चुनाव लड़ रही है, लेकिन महागठबंधन का सारा दारोमदार इस बार करीब-करीब उन पर ही है। जाहिर है, चुनावों के आने वाले चरणों के प्रचार के लिए तेजस्वी न तो प्रचंड गर्मी के कारण रुकना चाहते हैं, न किसी अन्य कारण से।
तेजस्वी का कहना है कि उनका दर्द बिहार के करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ नहीं है, जो नौकरी की आस में बैठे हैं और जिनके सपनों को विगत दस वर्षों में धर्म की आड़ में कुचला जा रहा है। अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आराम के अभाव और निरंतर यात्रा के कारण दो हफ्ते से उनकी कमर में दर्द था, जो अचानक बढ़ गया।
विपक्ष की अधिकतर पार्टियों और राजद के लिए भी यह चुनाव करो या मरो वाली स्थिति है। तेजस्वी को यह बखूबी पता है कि उन्हें न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लगातार तीसरी बार केंद्र में सत्ता वापसी से रोकने के लिए अपना योगदान देना है बल्कि अपनी पार्टी की लोकसभा चुनावों में धमक के साथ वापसी करानी है। पिछले आम चुनाव में राजद का एक भी उम्मीदवार विजयी नहीं हुआ था। लालू प्रसाद यादव की पार्टी के वजूद में आने के बाद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। 2019 में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर एनडीए को जीत मिली थी। विपक्ष में सिर्फ कांग्रेस को प्रदेश में एक सीट मिली थी। इसलिए इस चुनाव में तेजस्वी के दो लक्ष्य हैं, जिन्हें हासिल करने के लिए वे एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
Esta historia es de la edición May 27, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición May 27, 2024 de Outlook Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम