चुनाव हुए तो असेंबली होगी लाचार
Outlook Hindi|August 19, 2024
हाल में पुनर्गठन कानून में किए गए बदलाव से लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यकारी अधिकारों में इजाफा किया गया, जिससे विधानसभा हो जाएगी शक्तिहीन
बिलाल गनी
चुनाव हुए तो असेंबली होगी लाचार

जम्मू-कश्मीर की सियासी जमीन आधुनिक भारतीय राजनीति में सर्वाधिक विवादास्पद और नाजुक है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून के तहत क्षेत्र के अर्ध-स्वायत्त दर्जे को खत्म कर उसे दो केंद्र-शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में बांटा जाना बहुत बड़ा बदलाव था। भारत में वैसे तो नए राज्य बनाने और मौजूदा राज्यों को बांटने का इतिहास है लेकिन जम्मू-कश्मीर के साथ जो किया गया, वह अप्रत्याशित था क्योंकि एक राज्य को केंद्र-शासित प्रदेश में तब्दील किया गया था। यह स्थापित प्रशासनिक परंपराओं से एक विचलन था।

भारतीय राज्य कश्मीर की समूची आबादी को कष्ट में डालकर यहां अपना राज कायम करने का सुख ले रहा है। अगस्त 2019 के बाद से सरकार ने इस मुस्लिम-बहुल क्षेत्र में अभियान के स्तर पर कुछ तीव्र बदलाव किए हैं। जम्मू और कश्मीर के स्वायत्त दर्जे को छीनने के बाद राज्य यहां जो नीतियां लागू कर रहा है उससे कश्मीरी समाज में बड़े बुनियादी बदलाव हो जाएंगे। अपने नियुक्त किए लेफ्टिनेंट गवर्नर के माध्यम से यहां सीधा नियंत्रण कायम कर चुकी केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पुनर्गठन कानून को लागू कर जम्मू और कश्मीर की विधायिका की उस स्वायत्तता को खंडित किया है, जो इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 से मिली हुई थी।

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 ने यहां की विधायिका से “स्थाई निवासी” और उनके अधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार छीन लिया है, जो अनुच्छेद 35ए उसे देता था। अगस्त 2019 में लगाए गए लॉकडाउन ने राज्य को बहुत तेजी से गर्त में धकेलने का काम किया, जिसके चलते दिसंबर तक घाटी की अर्थव्यवस्था बहुत संकटग्रस्त हो गई थी। लॉकडाउन के चार महीनों में जम्मू और कश्मीर के उद्योगों को 17878.18 करोड़ रुपये का घाटा हुआ जबकि उससे खत्म हुए रोजगारों की संख्या कोई पांच लाख (4,97,000) के आसपास रही। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री (केसीसीआइ) ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पिछले साल कश्मीर घाटी में कारोबार को चालीस हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। यह जम्मू और कश्मीर के आर्थिक उत्पादन का 11 प्रतिशत बैठता है।

Esta historia es de la edición August 19, 2024 de Outlook Hindi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición August 19, 2024 de Outlook Hindi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE OUTLOOK HINDIVer todo
'वाह उस्ताद' बोलिए!
Outlook Hindi

'वाह उस्ताद' बोलिए!

पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते

time-read
4 minutos  |
January 06, 2025
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
Outlook Hindi

सिने प्रेमियों का महाकुंभ

विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव

time-read
3 minutos  |
January 06, 2025
विश्व चैंपियन गुकेश
Outlook Hindi

विश्व चैंपियन गुकेश

18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा

time-read
3 minutos  |
January 06, 2025
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
Outlook Hindi

सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप

भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात

time-read
10 minutos  |
January 06, 2025
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
Outlook Hindi

रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना

एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी

time-read
5 minutos  |
January 06, 2025
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
Outlook Hindi

हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान

मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी

time-read
5 minutos  |
January 06, 2025
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
Outlook Hindi

तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे

रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी

time-read
10 minutos  |
January 06, 2025
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
Outlook Hindi

'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'

लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।

time-read
5 minutos  |
January 06, 2025
आधी हकीकत, आधा फसाना
Outlook Hindi

आधी हकीकत, आधा फसाना

राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां

time-read
8 minutos  |
January 06, 2025
संभल की चीखती चुप्पियां
Outlook Hindi

संभल की चीखती चुप्पियां

संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी

time-read
6 minutos  |
January 06, 2025