भले ही थोड़े-थोड़े समय पर छत्तीसगढ़ में माओवादी सक्रिय हो उठते हैं और सुरक्षाबलों को चुनौती देते रहते, लेकिन इस वर्ष शुरुआत से ही उनकी गतिविधियों पर नजर रखा जाने लगा। सरकारी योजनाएं ये थीं कि पहले ही सख्त कार्रवाई के जरिये माओवादियों का मनोबल तोड़ दिया जाए। पिछले छह महीने में दो बड़े माओवादी विरोधी ऑपरेशन किए गए। पहला अप्रैल के महीने में कांकेर में और दूसरा 4 अक्टूबर (शुक्रवार) को दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के बॉर्डर पर हुआ। इस ऑपरेशन को अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान बताया जा रहा है। इस ऑपरेशन में 30 से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है। इससे पहले अप्रैल में कांकेर में हुई मुठभेड़ में 29 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों की सीमा पर अबूझमाड़ क्षेत्र में माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली। वहां 4 अक्टूबर को सुरक्षाबलों की संयुक्त पार्टी पहुंचा दी गई। कथित जानकारी के मुताबिक दोनों जिलों से लगभग 1000 जवान इस संयुक्त दल में शामिल थे। संयुक्त दल के जवानों ने थुलथुली इलाके में अपना मोर्चा संभाल लिया। इसी दौरान माओवादियों की ओर से फायरिंग शुरू हो गई। सुरक्षाबल के जवानों ने जवाबी फायरिंग की।
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