हाल के चुनावों में अप्रत्याशित हार के बाद अब कांग्रेस विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर उलझी हुई है। 8 नवंबर से 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में क्या कांग्रेस विधायक दल सदन में बगैर नेता के हाजिर होगा? नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस आलाकमान पशोपेश में क्यों हैं? कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष पर पेंच क्यों फंसा है? क्या नेता प्रतिपक्ष का चुनाव मुख्यमंत्री चुनने से भी कठिन है? ऐसे तमाम सवाल हरियाणा कांग्रेस ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के नेता भी सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्पष्ट चुनाव नतीजे के महीना भर बाद भी प्रमुख विपक्षी दल अपने विधायक दल का नेता तय न कर पाया हो। विधानसभा के पूर्व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने आउटलुक से कहा, "हरियाणा की जनता द्वारा लगातार तीसरी बार नकारे जाने की वजह से सदमे में कांग्रेस आलाकमान फैसला लेने की स्थिति में नहीं है। हार से सबक लेने के बजाय गुटबाजी से घिरी हरियाणा कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के लिए भी मारामारी है।"
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