पुर्तगालियों की जमीन
यहां बाकायदा एक रेलवे स्टेशन भी है। इसी से जुड़े हुए हैं, मुख्यालय चिंसुरा, चंदन नगर (चंद्रनगर), बांस बेड़िया, त्रिवेणी और बंडेल। कोलकाता के उत्तर में 35 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह क्षेत्र कभी फ्रांसिसी और पुर्तगालियों के अधीन रहा। हुगली वर्दवान डिविजन के अंतर्गत है। 1757 में पलासी युद्ध के बाद मीर कासिम ने एक समझौते के तहत वर्दवान, मिदनापुर और चटगांव का क्षेत्र 1760 में अंग्रेजों को सौंप दिया था, जिन्होंने सुविधानुसार वहां अपना राजकाज चलाया और 1795 में वर्दवान को दो भागों में बांट दिया। इससे उत्तरी हिस्सा तो वर्दवान ही रहा और दक्षिणी हिस्सा हुगली के अंतर्गत आ गया। हुगली चिंसुरा शहर को 1579 में पुर्तगालियों ने बसाया था, जिन्हें 1632 में मुगलों ने यहां से खदेड़ दिया।
व्यापार का केंद्र
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