CATEGORIES
Categories
गर्म पानी दूर करे परेशानी
आयुर्वेद में जल को पंच महाभूतों में से एक माना गया है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक कई शारीरिक क्रियाएं पानी पर निर्भर होती हैं जो हमें कई रोगों से भी बचाती हैं, रवासकर तब जब हम गुनगुने या गर्म पानी का सेवन करें।
गुरु ने दी आवाज और प्रकट हो गए गोरखनाथ
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के प्रमुर्व जिलों में शुमार गोरख़पुर की पहचान जिस गुरु गोरख़नाथ से हुई है, उनका जन्म अमेठी जिले के जायस में हुआ था। सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी की तरह ही जायस के सपूत गोरख़नाथ को भी बहत प्रसिद्धि मिली है तथा नाथ संप्रदाय में इनका विशेष स्थान है।
क्यों न आजमाएं कुछ घरेलू नुसवे!
तुलसी, नीम, काली मिर्च, अदरक, हल्दी और न जाने कितने फल-फूल, सब्जियां हमारे शरीर के लिए अमृत तुल्य हैं । डालते हैं इनके कुछ ऐसे ही औषधीय गुणों पर एक नजर।
कैसे करें बच्चे परीक्षा की तैयारी?
मार्च-अप्रैल का महीना आता नहीं कि बच्चों पर पढ़ाई का अनावश्यक बोझ बढ़ जाता है। प्रतियोगिता के दौर में अधिक-से-अधिक अंक लाने की होड़ में कई बार वो तनावग्रस्त हो जाते हैं और साथ ही उनमें असफल होने की घबराहट भी घर कर लेती है। इस परीक्षा की घड़ी में उनके माता-पिता और अभिभावक का साथ ही उनमें आत्मविश्वास जगा सकता है। जानने के लिए पढ़ें यह लेव।
ओशो ने ही मुझे अत्यंत सफल फिल्मकर बनाया : सुभाष घई
सुभाष घई फिल्म जगत के प्रसिद्ध निर्माता - निर्देशक हैं । उन्होंने कर्ज, हीरो, खलनायक, ताल आदि अनेक सुपरहिट फिल्में दीं। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं । उनका मानना है कि ओशो ने ही उन्हें अति सफल फिल्मकार बनाया है ।
क्या दुनिया बचेगी ?
ओशो 1960 से ही नए मनुष्य के बीज बोते रहे । नया मनुष्य ही अपनी व पृथ्वी की रक्षा कर सकता है । किन्तु लोग उनको नहीं समझ पाए । और यही दुर्भाग्य बन गया है ।
कश्मीर में एक नए सुनहरे अध्याय की शुरूआत...
करीब तीन महीने बीत चुके हैं जम्मू कश्मीर - लद्दाख में राजनैतिक परिस्थितियां बदले हुए, सविंधान की धारा 370 और 35A हटे और पूर्ण राज्य के 2 केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित हुए।
ओशो ने नारी को गौरवान्वित किया है
ओशो स्त्री को इस सृष्टि और जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग ही नहीं मानते, अपितु उच्चतम दर्जा भी देते हैं। ओशो ने संपूर्ण मानव इतिहास की गलतियों को सुधारते हुए अपनी पहली संन्यास दीक्षा स्त्री को ही दी। ओशो ने स्त्रियों को संन्यास देते हए उनके नाम के साथ 'मा' शब्द को जोड़ा और इस तरह उन्होंने स्त्री की आंतरिक संभावना को आवाज दी।
ओशो के अष्टावक्र महागीता पर महाभाष्य
ओशो की यह महागीता जीवन के सभी सोपानों की तार्किक विवेचना करती है । गीता की मीमांसा करके ओशो ने जीवन की तलाश कर ली थी।
ओशो का सर्वाधिक लोकप्रिय 'सक्रिय ध्यान'
प्रतिस्पर्धा, एवं अति व्यस्तता के कारण आज का मनुष्य अति जटिल, कुंठित, चिंतित, निरूत्साहित, अवसादग्रस्त व तनावग्रस्त होता जा रहा है।
ओशो और विवेकः एक प्रेम कथा
सू एपलटन अपने पूर्व जन्म से ही ओशो की प्रेमिका रही है। अप्रैल 1971 में ओशो द्वारा संन्यास दीक्षा ग्रहण की। ओशो ने उसे नया नाम मा योग विवेक दिया। मा विवेक दिसंबर 09,1989 को अपने भौतिक जीवन से पृथक हो गई।
उपासना, साधना और आराधना
आत्मिक उन्नति के लिए उपासना, साधना एवं आराधना की जीवन में निरंतरता एवं नियमितता अत्यंत आवश्यक है।
घर में समाए, सौंदर्य के उपाय
आजकल खूबसूरती हासिल करने के लिए अधिक कीमती लोशन, क़ीम तथा फेस पैक रवरीदे जाते हैं किंतु उनमें न जाने कितने रसायन मिले हैं जिनसे त्वचा पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इनके स्थान पर आप घरेलू उपाय अपनाकर अपनी त्वचा और सौंदर्य को निखार सकते हैं।
ओशो की प्रथम शिष्या मा आनंद मधु
मा मधु वर्तमान में त्रिवेणी घाट के निकट गंगा किनारे एक गुजराती आश्रम में निवासित हैं। ओशो की पहली शिष्या होने के कारण, उनके दर्शन के लिए विश्व भर से लोग आते हैं।
ओशो का अमृत संदेश कैसे फैलाएं ?
ओशो के अमृत संदेश को जनमानस तक कैसे पहुंचाया जाए ? यह प्रश्न अनेक परिपक्व मित्रों के मन में अक्सर उठता है , खासकर उनके , जिन्होंने ध्यान साधना द्वारा परम सत्य का रसास्वादन किया है ।
ओशो अमर है! महसूस करें उन्हें उनके चरण कमल से
प्रचीन भारत में हमेशा यह माना जाता रहा है आप केवल गुरु के चरणों तक पहुंच सकते हैं या छूचरणों तक पहुंच सकते हैं या छू ,सकते हैं , क्यों ?
ओशो : एकमात्र विकल्प
स्वामी चन्द्रमौली ओशो संन्यासियों में एक जाना-पहचाना नाम है। ओशो प्रचार-प्रसार में स्वामी जी का विशेष योगदान है। प्रस्तुत है उनसे हुई भेटवार्ता के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश।
इन्द्रधनुषी रंगों का मेल- पुष्कर मेला
राजस्थान की रंग-बिरंगी छटठा और लोककलाओं का संगम देखना है तो पुष्कर मेले से बढ़कर कुछ नहीं। मेले में सजे-धजे ऊंट, पारंपरिक खेल, लोक नृत्य एवं संगीत आदि पर्यटकों का मन मोह लेने के लिए काफी हैं। आइए डालते हैं एक नजर इस भव्य मेले की विशेषताओं पर |
आस्था के रंगो से सराबोर छठ पूजा
इस वर्ष 2 नवंबर को मनाई जा रही सूर्य षष्ठी गायत्री साधकों के लिए अनुदानों का अक्षय कोष है| गायत्री महामंत्र के अधिष्ठाता भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं । सूर्य भगवान की आरधना एवं उपासना से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं आध्यात्मिक अनुदान-वरदान की उपलब्धि होती है।
आधुनिक मनुष्य कौन है ?
कंटेम्प्रेरी , समकालीन मनुष्य को अस्तित्व में लाना है । वही मेरा काम है । यही कारण है कि हर कोई मेरे विरुद्ध है - क्योंकि वे लोग समकालीन नहीं हैं ।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विनयांजलि
ईसा की बीसवीं सदी में भारत में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया। उनमें एक हैं परम पूज्य आचार्य श्री महाप्रज्ञ। अपने जीवन की बालावस्था में करीब साढ़े दस वर्ष की आयु में उन्होंने जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टम अनुशास्ता परम पूज्य आचार्य श्री कालूगणी के द्वारा मुनि दीक्षा ग्रहण की।
'अलख जगाता आचार्य तुलसी का एक अनुयायी'
' पहुंच न पाते स्वर जिस तक, तर्क की गति शिथिल होती राम तुम हो आर्य तुलसी, यह अनिर्वचनीय ज्योति'
आचार्य महाप्रज्ञ का साहित्यिक मन
आचार्य महाप्रज्ञ जी को मैंने हमेशा एक बड़े साहित्यकार के रूप में देखा है । वे पहले से मुनि नथमल के नाम से लिखते रहे थे । उनकी बचपन की अनेक घटनाओं को जोड़कर देखें तो मालूम पड़ता है कि वे बहुत ही संवेदनशील प्रवृत्ति के रहे और उनकी दृष्टि में ' अलौकिकता' का भरपूर प्रभाव रहा ।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईशवर का ध्यान करना...यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक ।
आपका घर और वास्तु
सकारात्मक प्राकृतिक ऊर्जाओं को सही ढंग से प्राप्त करने की कला ही वास्तु है। भव्य अद्टालिका को जिस तरह वास्तु प्रभावित करता है, उसी तरह गरीब की झोपड़ी का वास्तु भी महत्वपूर्ण है। जानें इस लेख से।
अपार्टमेंट के मानक नियम
पिछले कुछ वर्षों में बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों में भी ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट बनने की रफ्तार बढ़ी है, लेकिन कोई अपार्टमेंट में घर लेने से पूर्व फेंगशुई के कुछ मानक नियमों को अवश्य जान लेना चाहिए तथा उसी के अनुरूप अपार्टमेंट लेकर उनमें साज-सज्जा करनी चाहिए।
अहिंसा साधना है कायरता नहीं
भारतीय संस्कृति में अहिंसा हमारे जीवन का मौलिक दर्शन रहा है। यद्यपि यह एक महान् मानवीय गुण है, तथापि इस गुण के कारण भारत को अनेक जोखिम भी उठाने पड़े हैं।
अप्प दीपो भव:
स्वामी कृष्णवेदांत ओशो के वरिष्ठ संन्यासियों में से एक हैं। प्रस्तुत है ओशो के अध्यात्म पर स्वामी जी से साक्षात्कार के प्रमुख अंश
अनुयायी नहीं, मार्गदर्शक बनें
जब भी कभी हमारे सामने कुछ अच्छा करने की बात आती है, तो हममें से अधिकांश लोगों का उत्तर होता है, 'एक हमारे करने से क्या हो जायेगा?' अर्थात् जब सब लोग कर चुकेंगे, तभी तो हमारे करने से कोई लाभ होगा! परन्तु जरा सोचिए, जब सभी इस इंतजार में बैठे होंगें तो वह समय कब और कैसे आएगा! वास्तव में तभी कुछ अच्छा हो सकता है, जब हम यह मान लें कि सिर्फ हमारे करने से भी, सबकुछ न सही, बहुत कुछ तो अवश्य हो जाएगा। आप पूछ सकते हैं कि भला यह कैसे संभव है? तो जानते हैं, कैसे?
'उपासना' यानी क्या?
तुम जब राम को स्मरण करते हो किसी आकांक्षा से, तब तुम झूठे हो। जब तुम्हारे भीतर कोई हेतु होता है तब तुम झूठे हो। अहेतुक स्मरण ही पूजा है, पाठ है प्रार्थना है।