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मोहन भागवत की बोध-दृष्टि में ज्ञानवापी
किसी भी देश की माटी को प्रणम्य बनाने, राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाने एवं कालखंड को अमरता प्रदान करने में राष्ट्रनायकों की अहम भूमिका होती है।
राजनीति का नया स्वरूप - दंगा पॉलिटिक्स
बीते दौर में किसी शायर ने कहा था कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। लेकिन आज की परिस्थितियों में तो लगता है कि बात निकलेगी तो हिंसा तक जाएगी।
ज्ञानवापी-मजहबी कट्टरता के इतिहास से स्वर्णिम भविष्य की उम्मीद
जब हम ज्ञानवापी का इतिहास खंगालते हैं तो हम देखते हैं कि ज्ञानवापी वस्तुतः किसी क एक मंदिर के ध्वंस या किसी एक घटना का इतिहास नहीं है बल्कि यह उस भयावह दौर की सिलसिलेवार सच्चाई है जब हमारा देश मजहबी कट्टरता से पराजित हुआ और हमने लगभग पूरे देश में अपने आस्था केंद्रों की वीभत्स तबाही को सहा।
ज्ञानवापी: आदिकाल से अब तक
वाराणसी दुनिया के इस सबसे प्राचीन शहर के बारे में आधुनिक इतिहासकारों ने 'Older Than History' यानी 'इतिहास से भी पुराना' विशेषण का उल्लेख किया है। जो भी शख्स अपनी जदगी में एक बार भी बनारस गया हो, उसे ये महसूस होता है कि इस शहर में कुछ ना कुछ खास तो जरुर है। जो कि आपको अपनी तरफ खींचता है।
क्या नूपुर प्रकरण पर भाजपा दबाव में है ?
भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के बयानों से आहत कट्टरपंथी मुस्लिम समाज के नेता व संगठन लगातार दोनो नेताओं को लगातार धमकियां दे रहे हैं। नूपुर को रेप और हत्या की धमकियां मिल रही थीं तथा कुछ संगठनो ने तो उनका सिर कलम करने के लिए करोड़ तक का ईनाम भी घोषित कर दिया है। यह एक अजीब सी बात है कि भाजपा आलाकमान ने इन विरोधियों के खिलाफ एक कड़ा बयान नहीं जारी किया था और न हीं नूपुर को संगठन की ओर से कोई मदद दी जा रही थी।
क्या है ज्ञानवापी का सच
ज्ञानवापी के नाम से विख्यात यह मस्जिद भगवान विश्वनाथ के मंदिर से इतनी चिपकी हुई सी सी है कि वह शक पैदा करती है। ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्य तो बाद में आते हैं, लेकिन तात्कालिक साक्ष्य इस मस्जिद पर शक करने के लिए काफी हैं। मंदिर पर अपनी राजनीतिक विचारधारा के हिसाब से इस मंदिर और मस्जिद पर विचार प्रगट करने वालों को छोड़ दें, तो आम नागरिक भी यही मानता है कि यहां मंदिर रहा होगा और आक्रांताओं ने इसे तोड़कर जबरिया वहां मस्जिद बना दी।
आतंकियों को मिल रही सजा, माफिया पर हो रही कार्यवाही
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में भी कानून व्यवस्था को लेकर बहुत सख्त तेवर अपना रही है और जिसके परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे हैं।
ज्ञानवापी विवाद के मायने
नब्बे के दशक में जब राम मंदिर आंदोलन उफान पर था, तो अमूमन गलियों में एक नारा जोरो से लगाया जाता, 'अयोध्या तो झांकी है, काशी- मथुरा बाकी है'।
इंसाफ एकतरफा क्यों?
नूपुर - नवीन को तो सजा दे दी, इन मजहबी कट्टरपंथियों का फैसला कब होगा
अत्पसंख्यक तुष्टीकरण का खतरनाक खेल
कैराना, मुजफ्फरनगर की शर्मनाक घटना जिसमें समाजवादी पार्टी पर न मिटने वाला कलंक लगा, जहां सपा के परोक्ष मुख्यमंत्री की हैसियत रखने वाले मुसलिम नेता आजम खां के दबाव में रातोंरात कलेक्टर और पुलिस कप्तान को ट्रांसफर किया गया। जुल्म की इतिहा तब हो गयी जब हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा। उनके घरों पर मकान बिकाऊ के नोटिस लग गये। इसी तरह कश्मीर से भी लाखों हिन्दुओं को घर छोड़ कर भागना पड़ा था।
भारत विरोधी तत्वों में भरा जहर है दंगों की वजह
यह संयोग ही है कि जिन दिनों य रामनवमी पड़ती है, उन्हीं दिनों मुस्लिम समुदाय का रोजे चल रहे होते हैं। कुछ ऐसा ही संयोग विक्रमी संवत के श्रावण के महीने का भी होता है।
हिन्दू शोभायात्रा पर सुनियोजित हमले
स्वतंत्र भारत में हिन्दू संगठनों द्वारा निकाली गई शोभायात्रा पर पथराव और आगजनी की घटना कई राज्यों और जेएनयू जैसे शैक्षिक संस्थान में भी हुई। पहले राजस्थान उसके बाद मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल और झारखंड आदि राज्यों में रामनवमी के अवसर पर जो शोभायात्रा निकाली गई उस पर दंगाइयों द्वारा हमले किए जा रहे हैं। यहां तक कि अब शैक्षणिक संस्थान भी इससे अछूते नहीं रहे। जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों में रामनवमी के दिन हिन्दू विद्यार्थियों के पूजा और हवन को बाधित किया गया।
हिंसा परमो धर्मः वालों के लिये निष्कासन कानून जरुरी
सनातन धर्म के अनुयायियों को सताना उन पर जुल्म करना मुस्लिम हमलावरों और मुगल राजाओं की सोच और आदत रही है।
क्यों हिन्दू पर्व हिंसा का शिकार हों ?
रामनवमी एवं हनुमान जयन्ती पर एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने जो , हिंसा, नफरत एवं द्वेष को हथियार बनाकर अशांति फैलायी, वह भारत की एकता, अखण्डता एवं भाईचारे की संस्कृति को क्षति पहुंचाने का माध्यम बनी है।
त्यौहारों पर हिंसा का साया
इस समय देश बड़ी विकट स्थिति से गुजर रहा है। एक आम आदमी जो कि इस देश की नींव है उस के लिए जीवन के संघर्ष ही इतने होते हैं कि वो अपनी नौकरी, अपना व्यापार, अपना परिवार, अपने और अपने बच्चों के भविष्य के सपनों से आगे कुछ सोच ही नहीं पाता। वो रोज सुबह उम्मीदों की नाव पर सवार अपने काम पर जाता है और शाम को इस दौड़ती - भागती जिंदगी में थोड़े सुकून की तलाश में घर वापस आता है।
हिन्दू शोभायात्रा के खिलाफ हिंसा एक साजिश
हाल ही में दिल्ली में हुई एक घटना ने भारत में एक बार फिर से सेक्युलरिज्म को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जहां हनुमान जयंती के पर्व के दिन कुछ मुस्लिम दंगाइयों ने हिन्दुओं की शोभायात्रा पर पथराव कर दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि किसी सभ्य समाज में ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त किया जा सकता है ?
अच्छे खान-पान से बढ़ती है उम्र
खान-पान का मनुष्य के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसको लेकर हाल ही में नॉर्वे में, दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा व प्रभावी अध्ययन किया गया है।
अमन के फरिश्तों का सच
शोभायात्राओं पर हमले का क्रम देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया। जहांगीरपुरी में हनुमान जन्मोत्सव की शोभायात्रा पर भीषण हमला और आगजनी ठीक वैसे ही है, जैसा हम मध्य प्रदेश के खरगोन से लेकर गुजरात के खंभात और राजस्थान के करौली तक में देख चुके हैं। दिल्ली, गुजरात, झारखंड, बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में हुई इन हिंसक घटनाओं के बीच समानताएं अगर किसी को न दिखती हो, तो उसे 'आंख से अंधा नाम नैनसुख' कह सकते हैं।
'जय श्री राम' कहना और हनुमान चालीसा पाठ अब अपराध ?
कहां हैं सेकुलरवाद, उदारवाद व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ठेकेदार ?
'ऑपरेशन गंगा' एक जटिल मानवीय ऑपरेशन की दास्तान
हाल ही में सकुशल समाप्त हुए ऑपरेशन गंगा को भविष्य में एक ऐसी घटना के रुप में देखा जायेगा जिसमें हमारी सरकार ने मानवीय, जनतांत्रिक, कूटनीतिक और साहस के सभी पैमानों पर खरा उतरते हुए न केवल देश के 22500 नागरिकों को बल्कि 18 अन्य देशों के 147 नागरिकों को भी बरसती मिसाइलों के बीच से सुरक्षित निकाल कर एक नया इतिहास रच दिया।
शाहबाज शरीफ का कश्मीर राग दुर्भाग्यपूर्ण
पाकिस्तान में एक और सत्ता की तख्ता पलट का नाटक पूरी दुनिया ने देखा। सत्ता में बने रहने के इमरान खान के सारे दांव-पेंच बेकार साबित हुए।
भाजपा की ऐतिहासिक विकास यात्रा
भाजपा पर एक पठन
निर्यात के क्षेत्र में भारत की नई उपलब्धि
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने वित्त वर्ष 2022 में निर्यात में 400 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल किया था और उपलब्धि के लिए किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, निर्माताओं और निर्यातकों को लागू किया था।
नरेन्द्र मोदी का आत्मानिर्भर भारत - दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक दृष्टि
पांच दशक बाद 2015 में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के साथ सामने आए, जो कि दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन का प्रतिबिम्ब ही है। ऐसे में मोदी दीनदयाल उपाध्याय के सपने को साकार कर रहे हैं। वास्तव में, 'आत्मनिर्भर भारत' की अवधारणा की विशिष्ट विशेषताएं दीनदयाल उपाध्याय के उस आर्थिक दर्शन में दिए गए तत्वों से मेल खाती हैं। दीनदयाल उपाध्याय ने कहा कि भारतीय जनता का विनाशकारी आत्म-विस्मरण' देश की आर्थिक बीमारियों का मूल कारण था। वास्तविकता में उनका मानना था कि 'आर्थिक विकास लोगों के लिए लोगों द्वारा ही किया जाना चाहिए और यही सच्चाई है।
गर्मियों में चिल करने की जगहें
भारत एक विविधताओं का देश है। आपकी पसंद के अनुसार सभी तरह के स्थान भारत में उपलब्ध हैं। बर्फीले प्रदेश से लेकर रेगिस्तान, हरित प्रदेश, समुंदर के किनारे के स्थान, ऐतहासिक स्थल, धार्मिक स्थल, विभिन्न प्रकार की जलवायु आदि। इसीलिए इस गर्मी से राहत के लिए अपने तथा अपनों के लिए समय निकालें और इन पसन्दीदा स्थानों का आनंद लें।
परीक्षा के तनाव के शमन के लिए आत्मविश्वास जरूरी
परीक्षा तनाव रिलीवर के बारे में एक लेख
गर्मियों में रहें कूल
मौसम के हिसाब से फैशन भी बदलता रहता है। अब गर्मियों के मौसम ने देशभर में दस्तक दे दी है, जिससे गर्मियों के हिसाब से ही फैशन में भी बदलाव आने लगा है। ऐसे में अगर आप (पुरुष/महिला) कंफर्टेबल कपड़ों के शौकीन हैं और समर फैशन के स्टाइल्स को फॉलो करना चाहते हैं, तो यहां हम आपके लिए कुछ ऐसे फैशन टिप्स लेकर आए हैं, जो गर्मियों के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट हैं।
गर्मी के दिनों में कैसे रखें सेहत का ख्याल - क्या खाएं, क्या न खाएं और कैसे खाएं
मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, उत्तर भारत में इस वर्ष तापमान सामान्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहेगा। इस वर्ष मार्च के अंत में ही पूरा उत्तर भारत गर्मी की चपेट में आ गया। अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस समय भोजन का खासा ध्यान रखने की जरूरत है। इस समय बेचैनी, घबराहट, सुस्ती के अलावा पेट संबंधी बीमारियां इस मौसम में आम बात है। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए हमें अपनी डाइट में थोड़ा बदलाव और दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करके परेशानियों से बचा जा सकता है। जिससे हम ऊर्जावान होकर अपनी कार्यक्षमता को बढ़ा सकें।
कैसे बचें गर्मी की चुभन से
गर्मी के मौसम में खास टिप्स
कलिकाल में हनुमान जी की भक्ति का महत्व
हनुमान जी कलियुग के जाग्रत देव हैं जो भक्तों को बल, बुद्धि, विवेक प्रदान करके भक्तों की रक्षा करते हैं। हनुमान जी के स्मरण से रोग, शोक व कष्टों का निवारण होता है।