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तीसरी लहर की दस्तक
कोरोना का नया वैरिएंट कितना घातकहोगा यह अभी देखना बाकी है। सवाल यह भी है कि क्या नये वैरिएंट से हमारी वैक्सीन मुकाबला कर पायेगी।
बिहार में करवट लेती राजनीति
लालू प्रसाद तेजस्वी को अपनी पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी में हैं। लोजपा में टूट के बाद चिराग पार्टी को मजबूत करने की मुहिम पर हैं। वे जहां नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं, वहीं भाजपा के प्रति नरम। बीते विधानसभा चुनाव के बाद से प्रदेश की राजनीति में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
तालिबान को कैसे रोकेगा भारत और विश्व
अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होते
जातीय समीकरण साधने को लेकर तेज हुई वोटबैंक की सियासत
बसपा नेता सतीश चन्द्र मिश्रा कहते हैं कि वहीं आज भाजपा में ब्राह्मण नेता गुलदस्ता बने हुए हैं। जब भी गोली मारी जाती है घर गिराए जाते हैं, बुलडोजर चलाए जाते हैं तो यह बिल से निकलकर बाहर आते हैं और कहते हैं अच्छा हुआ। आज प्रदेश में फिल्मी स्टाइल में एनकाउंटर हो रहे हैं, पहले रोको फिर जात पूछो उसके बाद ठोंक दो।
सत्ता के महासंग्राम से पहले सियासी अस्त्र-शस्त्र परखने में जुटे दल
भगवा खेमे की जीत सुनिश्चित करने को संघ ने कमर कसी, दी जिम्मेदारियां
पीएम मोदी का डबल इंजन देवभूमि में फेल
जोखिम भाजपा फिर ले चुकी है। और अगले साल चुनाव में इसका क्या असर होगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ठीक उस समय त्यागपत्र दे दिया, जब उनकी सरकार चार साल का अपना कार्यकाल पूरा करने ही वाली थी। कहा जा रहा है कि केंद्रीय भाजपा नेतृत्वने विधानसभा चुनाव के एक वर्ष पहले यह पाया कि उनके मुख्यमंत्री रहते चुनाव जीतना मुश्किल होगा। पता नहीं सच क्या है, लेकिन यह सवाल तो उठेगाही कि आखिर चार साल तक उनके कामकाज का आकलन क्यों नहीं किया जा सका?
पांच राज्यों का चुनावी शाखनाद
भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद पश्चिम बंगाल से है। ध्रुवीकरण और सत्ता विरोधी लहर के सहारे भाजपा बंगाल सागर पार करने में जुटी है। उधर, विपक्ष को पता है कि जिस तरह नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा का प्रदर्शन रहा है यदि वैसा ही रहा तो विपक्ष के लिए मुसीबतें और बढ़ जायेंगी। वहीं कांग्रेस और विपक्ष का अपना आकलन है कि वह तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में सरकार बनाने के रेस में है और अगर ममता भाजपा को बंगाल में रोकने में सफल हो गई तो यह भाजपा के पतन की शुरुआत हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया बनाम बिग टेक कंपनियाँ
सरकार का तर्क है कि टेक कंपनियों को न्यूज रूम को उनकी पत्रकारिता के लिए उचित कीमत अदा करनी चाहिए। इसके साथ ही ये तर्क भी दिया गया है कि ऑस्ट्रेलिया की न्यूज इंडस्ट्री के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है क्योंकि मजबूत मीडिया लोकतंत्र की जरूरत है। गौरतलब है कि न्यूज कॉर्प ऑस्ट्रेलिया जैसी मीडिया कंपनियों ने विज्ञापन से होने वाली आय में दीर्घकालिक कमी आने के बाद सरकार पर दबाव बनाया है कि वह टेक कंपनियों को बातचीत के लिए तैयार करे। ऐसे समय जब मीडिया कंपनियों की कमाई में कमी आ रही है तब गूगल की कमाई में बढ़त देखी जा रही है।
दुनियाभर की चिंता 'क्रिप्टो करेंसी'
दुनिया भर के संगठनों ने आभासी मुद्राओं से निपटने के दौरान सावधानी बरतने का आह्वान किया है, साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि किसी भी प्रकार का कवरिंग सिस्टम प्रतिबंध पूरे सिस्टम का खत्म कर सकता है, जिसका अर्थ है कि इन आभासी मुद्राओं का कोई विनियमन नहीं होगा। जून 2013 में, आरबीआई ने पहली बार आभासी मुद्राओं के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को संभावित वित्तीय, परिचालन, कानूनी और ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित जोखिमों के बारे में चेतावनी दी थी।
4 साल योगी सरकार
योगी सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किया गया अपना पांचवां और अंतिम बजट इसका एक आईना है। योगी सरकार ने अपने इस बजट में विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी द्वारा आमजन से किए गए बचे हुए वादों को पूरा करने पर पूरा जोर दिया है। चूंकि अब यह चुनावी वर्ष होने जा रहा है, ऐसे में बजट का लोक लुभावन होना स्वाभाविक है। बजट के साथ ही योगी सरकार चुनावी मोड में भी आ चुकी है। साफ है कि बजट के जरिए 2022 साधने की तैयारी है। वहीं योगी सरकार के चार वर्ष पूरे होने की खुशी में पूरे उत्तर प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित कर इसे धार दी जा रही है। इसी कड़ी में योगी सरकार की उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया गया। अंतिम बजट पेश करते समय जहां सरकार ने नौजवानों से लेकर किसानों और महिलाओं के साथ-साथ अपने मूल एजेंडे हिंदुत्व और अपने शहरी कोर वोट बैंक को साधे रखने के लिए बजट में पांच बड़े राजनीतिक संदेश देने की कवायद की थी। वहीं चार वर्ष पूरे होने की खुशी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में किसानों और बेरोजगारी दूर करने के लिए उठाए गए कदमों पर ज्यादा फोकस किया है।
आरक्षण ने बिगाड़ा दिग्गजों का 'खेला'
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की गहमागहमी है तो दूसरी ओर प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के घोषित आरक्षण के फार्मूले को लेकर विपक्ष ही नहीं प्रदेश सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा में जद्दोजहद चरम पर है। सूत्रों के अनुसार बीजेपी में पंचायत आरक्षण फार्मूले को लेकर असंतोष सतह पर आ गया है। पार्टी के कई सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों ने शीर्ष नेतृत्व से यह शिकायत भी की है कि उनके लोग पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी किये बैठे थे, मगर आरक्षण के फार्मूले की वजह से उनके लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो गये।
महंगाई डायन
केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के सदस्य लगातार जनता को यह भरोसा दिला रहे हैं कि जल्द ही महंगाई पर काबू पा लिया जायेगा। साथ ही स्पष्टीकरण भी दिए जा रहे हैं कि कीमतों में यह उछाल किन कारणों से हैं। हालांकि सरकार द्वारा बताये जा रहे कारण कसौटी पर कहीं भी खरे नहीं उतरते। जैसे केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि रसोई गैस के दाम टण्ड की वजह से बढ़ रहे हैं। जैसे-जैसे ठण्ड कम होगी, दाम भी स्वत: ही कम हो जायेंगे। अब भला इस तर्क पर कौन भरोसा करेगा। पिछले साल मानसून कमजोर रहा या पर्याप्त बारिश नहीं हुई, ये ऐसे कारण नहीं हैं कि इनका असर सभी चीजों पर एकसाथ पड़े। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि कीमतें इतनी ज्यादा होने के बावजूद बाजार में किसी भी आवश्यक वस्तु का अकाल-अभाव दिखाई नहीं पड़ता।
आन्दोलन जारी है...
सरकार और किसानों के बीच के गतिरोध को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनों को स्थगित करने का निर्णय सुनाते हुए एक समिति का गठन किया लेकिन किसानों ने इस समिति को भी खारिज कर दिया। नतीजा यह है कि न तो किसान पीछे हटने को तैयार हैं और न सरकार ही झुक रही है। एक पक्ष देखें तो लगता है किसान अकारण जिद पर अड़े हैं तो वहीं दूसरा पक्ष देखें तो सरकार का रवैया भी कमोबेश जैसा ही है। किसान आन्दोलन की परिणिती क्या होगी यह तो अभी देखना बाकी है लेकिन इसी बीच 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में जमकर उपद्रव और हिंसा हुई।
भाषा संयम की आवश्यकता
पूर्वजों की आनंदानुभूति का परिणाम निर्भयता है। तब भूत भविष्य की चिन्ता नहीं होती। आनंद समय का अतिक्रमण करता है। वाणी का रस सामूहिकता में फैलता है। वाणी का क्षीर सागर धरती से परम व्योम तक मधुरसा है। इसी क्षीर सागर में कमलासन पर विष्णु उगते हैं और श्री समृद्धि उनके पैर दबाती हैं। अभय और निर्भय होने का अनन्त है यहां। सांपों की शैय्या लेकिन विष्णु शान्ताकार-शान्ताकारं भुजगशयनं । तैत्तिरीय उपनिषद् के ऋषि ठीक ही कहते हैं "आनंद संपूर्णता को जानने वाला किसी से भी नहीं डरता।"
चुनौतियों से किए दो-दो हाथ
जो मेहनत यूपी की सरकार ने की है, हम कह सकते हैं कि एक प्रकार से अब तक कम से कम 85 हजार लोगों का जीवन बचाने में वो कामयाब हुई है। ये सब उस स्थिति में हुआ जब देशभर से करीब 30 लाख से अधिक श्रमिक साथी, कामगार साथी, यूपी में पिछले कुछ हफ्तों में अपने गांव लौटे थे। - नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री
दो एशियाई ताकतों का टकराव
पैगॉग सो झील क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में जिन-जिन चोटियों पर भारतीय सैनिकों ने हाल में अपना कब्जा किया है, उन सभी स्थानों पर भारतीय सैनिकों ने अपने कैंप के चारों तरफ कटीली तारेभी लगा दी हैं और चीनी सेना और सैनिकों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अगर किसी चीनी सैनिक ने इन कटीली तारों को पार करने या हटाने की कोशिश की तो उसका एक प्रोफेशनल आर्मी की तरह जवाब दिया जाएगा।
बिन 'गांधी' सब सून
राजनीति और कांग्रेस पर नजदीकी नजर रखने वाले विश्लेशकों का कहना है कि इस दौर से पार पाने के लिए जरूरी है कि नेहरू-गांधी परिवार अब नेतृत्व की कमान किसी और के हाथों में दे दे। जब राहुल गांधी ने 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा था तो कई दिनों तक कांग्रेस में पार्टी के अंदर चर्चा हुई लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ 23 कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस में नीचे से ऊपर तक परिवर्तन होना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी को वापस कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात भी की गई है। सभी यह चाहते हैं कि यदि गांधी-नेहरू परिवार के बाहर के किसी नेता को पार्टी की कमान सौंपी जाती है तो फिर उस नेता का चुनाव ना हो बल्कि परिवार ही नेता का अध्यक्ष पद पर मनोनयन कर दे। साफ है कि बिना गांधी-नेहरु परिवार के समर्थन के कोई भी नेता कांग्रेस का मुखिया नहीं बन सकता है।
पंगा गर्ल बनी कंगना
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कंगना फिर चर्चा में हैं। जब सभी सुशांत की मौत को आत्महत्या मान चुके थे तब कंगना ने यह कहकर तहलका मचा दिया कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गयी है। इसके साथ उन्होंने फिल्मी दुनिया के कई नामचीन लोगों जैसे करन जौहर, सलमान खान, महेश भट्ट आदि का नाम लेकर सनसनी फैला दी। कहा कि भाईभतीजावाद के कारण ही सुशांत आज इस अवस्था में पहुंचा। बाद में उन्होंने बॉलीवुड में ड्रग्स के सेवन को लेकर भी कई खुलासे किए। हालांकि वह स्वयं यह कह चुकी हैं कि वह खुद ड्रग्स का सेवन करती थीं।
टीकाकरण समय की मांग
वर्षों तक, अलग-अलग देशों में अलग-अलग विधियों का विकास हुआ ताकि सुनिश्चित हो सके कि टीकों का सुरक्षित रूप से विकास, निर्माण और उपयोग किया जा सके फिर जानवरों और मनुष्यों में परीक्षण के लिए स्थिर और अत्यधिक शुद्ध उत्पाद बनाने के लिए एक विनिर्माण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और अंत में टीका बाजार में उतारा जाता है। कोविड19 के टीके का जानवरों में परीक्षण के बिना ही मनुष्यों में तेजी से परीक्षण किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य वैज्ञानिक ने कोविड-19 के टीके के विकास और वितरण के लिए राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को बजाय एक बहुपक्षीय या वैश्विक दृष्टिकोण की अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
बड़ी सौगात होगी यूपी की फिल्म सिटी
राजनीतिक लिहाज से भी यूपी में देश की सबसे खूबसूरत फिल्म सिटी की स्थापना करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल को एक बड़ा दांव माना जा रहा है। पहले डिफेंस कॉरिडोर और अब फिल्म सिटी की स्थापना से रोजगार के काफी अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। इससे स्थानीय स्तर पर लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और उत्तर भारत के कलाकारों को बेहतर माहौल के साथ उचित प्लेटफॉर्म मिल सकेगा। हिंदी हार्टलैंड में हिंदी फिल्में बन सकेंगी। प्रशिक्षण केंद्र भी खुलेगा जहां युवा प्रशिक्षित किए जा सकेंगे। युवाओं के लिए यह बड़ी खुशी की बात है।
भारत के कौशल विकास को औद्योगिक संस्थानों से जोड़ने की चुनौतियां
कोरोना महामारी से उपजे संकट को भारत में कौशलीकरण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के अवसर के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। कौशल प्रशिक्षण के अंतराल को कम करने के लिए प्रमुख कदम हैं जैसे आरंभ में प्रशिक्षु 1-3 साल की अवधि के लिए नौकरी के साथ-साथ कौशल भी करते हैं। इसके लिए सरकार राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना के माध्यम से इसका समर्थन करती है और 25 प्रतिशत वजीफा देती है। ऐसे अप्रैटिसशिप कार्यक्रमों को प्रशिक्षुता पखवाड़ा जैसे जागरूकता अभियानों के माध्यम से मजबूत किया जाना चाहिए।
श्रीराम लला विराजमान
5 अगस्त 2020 की यह तिथि ऐतिहासिक हो गयी और जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर का भूमि पूजन के साथ ही कार्यारम्भ हुआ। विभिन्न मतों के 136 धर्माचार्यों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण का शंखनाद किया। मंदिर निर्माण प्रारम्भ होने की इस शुभ बेला पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कार्यक्रम स्थल पर मौजूद सभी भावुक हो गये थे।
क्या अब मंदिर राजनीति नया मोड़ लेगी
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी पर्याप्त संकेत दिए। उन्होंने कहा कि राम समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं। वे परिवर्तन और आधुनिकता के पक्षधर हैं। उन्हीं के आदर्शों के साथ भारत आगे बढ़ रहा है। विपक्ष और खासकर कांग्रेस ने जो प्रतिक्रियाएं दी हैं, वे मंदिर निर्माण और उससे जुड़े भूमि पूजन की पक्षधर रहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी दोनों ने लगभग एक जैसी बात कही है। श्रीमती गांधी ने दो दिन पहले एक लम्बे बयान में कहा था ‘राम सब में हैं, राम सबके साथ हैं। भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।
आधुनिक विश्व में वैज्ञानिक
मनुष्य व्यक्तित्व में पदार्थ का भी हिस्सा है। इसकी समझ के लिए विज्ञान पर्याप्त है। यह यथार्थ सत्य है लेकिन जीवन में सत्य के साथ शिव और सौन्दर्य भी है और सौन्दर्य पदार्थ नहीं है। सौन्दर्य का वैज्ञानिक विवेचन नहीं हो सकता। उसे देखकर गाकर आनंदित हुआ जा सकता है। सौन्दर्य रसपूर्ण भी होता है लेकिन इस सौन्दर्य का रस भी पदार्थ नहीं है इसलिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम सौन्दर्य को खारिज भी कर सकते हैं। सौन्दर्य और उसका आनंद वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध नहीं किया जा सकता। विज्ञान प्रयोग आधारित सत्य का ही विश्वासी है।
योगी के रूप में भाजपा को मिला नया'युवा-हिन्दू हृदय सम्राट'
मुख्यमंत्री बनने के बाद यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि राजधर्म का निर्वहन करते उनके हिन्दुत्व की धार में कुछ कमी दिखाई देगी, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने विधानसभा में यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि वह ईद नहीं मनाते', लेकिन ईद मनाने वालों को पूरी सुरक्षा व सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि वह हिन्दुत्व के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे, लेकिन वह अपना राजधर्म भी निभाने में पीछे नहीं हटेंगे। श्री योगी ने आशानुसार मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को प्राथमिकता दी।
नई शिक्षा नीति-बेड़ापार या बंटाधार
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर केन्द्र सरकार ने जो नई शिक्षा नीति सार्वजनिक की है वह है क्या? दरअसल, पूर्व इसरो प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया था, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी मंजूरी दी। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति में पांचवीं क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी।
या वैक्सीन तेरा सहारा!
भारत में भी वैज्ञानिक पूरी शिद्दत से शोध में जुटे हुए हैं। दर्जनों क्लीनिकल ट्रायल हो रहे हैं और कुछ देशों में ये ट्रायल दूसरे फेज में पहुंच भी चुके हैं। काफी को उम्मीद है कि साल के अंत तक एक वैक्सीन तैयार हो सकती है लेकिन वैक्सीन को लेकर तमाम सवाल भी हैं जिनके उत्तर आने में अभी बहुत समय लगने वाला है। वहीं बाजार में आने के बाद यह वैक्सीन किसे पहले उपलब्ध होगी और किसे बाद में, इसे लेकर भी चर्चायें और आशंकायें समान रूप से हैं। इतना तो तय है कि वैक्सीन के सफल प्रयोग के बाद आमधारणा यह बन जायेगी।
सृजनात्मकता, डिजिटलीकरण और बच्चे
सर्वे में पाया गया कि 65 प्रतिशत बच्चे लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आदी बन गए हैं और 50 प्रतिशत बच्चे तो आधे घंटे के लिए भी इन उपकरणों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इस लत से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे इनके प्रयोग से ज्यादा जिद्दी और चिड़चिड़े हो गए हैं। उनकी भाषिक कुशलता, आलोचनात्मक शक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता तेजी से घटी है। दो तिहाई अभिभावकों ने माना कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने बच्चों के जीवनव्यवहार में भारी बदलाव देखे हैं।
गर्मी में नहीं दिखी आइपीएल की सरगर्मी
विश्व बैडमिंटन महासंघ ने कोरोना वायरस के कारण थॉमस एंड उबेर कप को स्थगित कर दिया। यह टूर्नामेंट 16 से 24 मई के बीच खेला जाना था। हॉकी प्रो लीग 17 मई तक स्थगित। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने प्रो लीग को भी स्थगित कर दिया है। एफआइएच ने बयान में लिखा, कोविड-19 को लेकर हालिया स्थिति और इसे लेकर वैश्विक स्तर पर सरकारों द्वारा की गई प्रतिक्रिया के कारण एफआईएच ने अपने सभी साथी राष्ट्रीय संघों के साथ मिलकर यह फैसला किया है कि एफआईएच हॉकी प्रो लीग के स्थगन को बढ़ा दिया गया है।
कोरोना महामारी से मानवता व्यथित
प्रशान्त चित्त उर्वर होता है। ऐसे चित्त में मधुप्रीति उगती है। यहीं मधुमयता की गाढ़ी अनुभूति मिलती है। कोई कह सकता है कि शान्ति एक अमूर्त विचार है। एक कल्पना या धारणा। मनोविज्ञान की दृष्टि में चित्त की एक विशेष दशा- स्टेट आफ माइंड का नाम शांति है। शांति किसी भी पदार्थ या वस्तु से अधिक मूल्यवान है। शान्ति सकारात्मक स्थिति है। अशान्ति का न होना शान्ति नहीं है। अशान्ति भिन्न चित्तदशा है। अशान्त लोग अपने प्रिय भौतिक पदार्थ और वस्तुएं भी तोड़ने लगते हैं। वे अपना माथा भी पीटते हैं। प्रशांत लोग कुर्सी, कप या मेज को भी प्रीति प्यार से सहलाते हैं, वस्तुएं तब मित्र या जीवंत प्राणी होती हैं।