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देवभूमि उत्तराखंड का श्रीराम से गहरा नाता
मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर शासन ने कुमाऊं क्षेत्र में स्थित पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदलकर सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व करने की अधिसूचना जारी कर दी है। यह क्षेत्र महर्षि वाल्मीकि, माता सीता और लव-कुश से जुड़ा माना जाता है। वहां स्थित मंदिर की देखरेख का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है। धामी सरकार ऐसी पहली सरकार है, जिसने किसी संरक्षित क्षेत्र का नामकरण माता सीता के नाम पर किया है।
मैं हूं, आदि-अनंत प्रभु श्रीराम की अलौकिक नगरी अयोध्या
मोदी अयोध्या को बनाना चाहते हैं 'हिन्दुओं की वेटिकन सिटी'
व्यास तहखाने में पूजा की 30 साल बाद मिली अनुमति
एक ओर जहां धार्मिक राजधानी काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों के अवशेष बरामद हुए, वहीं अब व्यास तहखाने में पूजा-पाठ पर लगी रोक समाप्त करने के मामले में भी हिंदू पक्ष की एक और जीत हासिल हो गई है।
हमारे राम आ गए
ये भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा भारत के उत्कर्ष का, भारत के उदय का। यह भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा भव्य भारत के अभ्युदय का, विकसित भारत का संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। न्याय के पर्याय प्रभु श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से बना
उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव - सीएम धामी के मिशन को पूरा करेंगी राधा रतूड़ी
युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राधा रतूड़ी को शासन का नया बॉस बनाना खास मिशन का हिस्सा माना जा रहा है। हर मंच पर उत्तराखंडियत की बात करने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी अब उत्तराखंडियत से जुड़े हर मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं। उत्तराखंडियत व लोक कल्याण से जुड़े 4 बड़े संकल्प ऐसे हैं, जो सीएम धामी की प्राथमिकता में हैं और इन्हें पूरा करने में सीएम देरी करने के पक्ष में कतई नहीं हैं।
बेरोजगारी पर कड़ा प्रहार, धामी सरकार में रोजगार की भरमार
बीते वर्ष धामी सरकार ने बेरोजगारी को नियंत्रित करने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की, मगर अब आने वाले एक से दो वर्षों में उत्तराखंड में रोजगार का नया रिकॉर्ड बनने के आसार हैं। दरअसल, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिसंबर 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश एमओयू हस्ताक्षर किए थे, अब उनकी ग्राउंडिंग होनी शुरू हो गई है। इससे प्रदेश में उद्योग व सेवा क्षेत्र का तेजी से विकास एवं विस्तार हो रहा है। इनसे निजी क्षेत्र में लाखों की संख्या में रोजगार व स्वरोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इसके लिए सीएम धामी निवेश की ग्राउंडिंग की हर महीने समीक्षा भी कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा निवेश को धरातल पर उतारा जा सके। वहीं, 'डेस्टिनेशन उत्तराखंड' भी कई अवसर पैदा करेगा।
'गुड गवर्नेस' ने परिवहन निगम को घाटे से उबारा
किसी ने ठीक कहा है कि 'कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तबीयत से तो उछालो यारो..' यह वाक्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार पर फिट बैठता है।
चौमुखी विकास व पारदर्शी तंत्र, 'सुशासन' ही सीएम धामी का मूल मंत्र
सुशासन का मुख्य लक्ष्य लोककल्याण व राज्य की समृद्धि माना जाता है। यही वजह है कि भारतीय लोकतंत्र में भी शासन में सदैव सुशासन को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सुशासन में आठ कारकों का होना अनिवार्य है। कानून सम्मत, जवाबदेही, पारदर्शिता, सर्वसम्मति, सहभागिता, समानता, समावेशी, सेवा क्रियान्वयन आदि।
पहले कश्मीर, फिर अयोध्या अब यूसीसी जो कहा, कर दिखाया
15 अगस्त 1947 का दिन, जब भारत ब्रिटिश गुलामी से पूर्णतः स्वतंत्र हुआ। परंतु किसे पता था कि स्वतंत्रता मिलने के कुछ ही समय बाद भारतीयों की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा। देश के सामने दो ज्वलंत मुद्दे पैदा हुए, जिनके स्थायी समाधान की मांग उठी। एक था - जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370, जो देश की अखंडता व संवैधानिक एकरूपता को चनौती मिलना। दसरा था अयोध्या, जहां रामलला को उनके जन्म स्थान से दूर करना।
उत्तराखंड में यूसीसी धामी सरकार का 'मास्टर स्ट्रोक'
विधानसभा से यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। राज्यपाल व राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही धामी सरकार यूसीसी को प्रदेश में लागू कर देगी। इसी के साथ स्वतंत्र भारत में यूसीसी का कानून बनाकर लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बनेगा। धामी सरकार ने यूसीसी को लाकर इतिहास तो रचा ही, आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा 'मास्टर स्ट्रोक' चला है, जिससे विपक्ष चारों खाने चित्त है। केन्द्र सरकार ने पहले कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर निर्णय, बाद में राम मंदिर का निर्माण और अब उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू करने की पहल करके धामी सरकार ने राष्ट्रीय परिदृश्य में भी लीड ले ली है।
इंडिया गठबंधन का 3 अस्तित्व खतरे में!
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने साफ कह दिया है कि वह अपने राज्य में कांग्रेस और में वामदलों के लिए कोई भी सीट नहीं छोड़ेंगी और अकेले ही चुनाव मैदान में जायेंगी। उधर, पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के दावे को सिरे से नकार दिया है। आप ने पंजाब और दिल्ली की सभी सीटों पर अकेले ताल ठोंकने की बात कह दी है। उधर, यूपी में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस को 11 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है जबकि यहां कांग्रेस कम से कम 20 सीटें मांग रही है।
सरकार का चरखा दांव
कुश्ती संघ के चुनाव में मिली हार पर महिला पहलवान साक्षी मलिक ने पहले संन्यास लेने का ऐलान किया, उसके बाद पहलवान बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर दिया। सारे घटनाक्रम और उसकी गंभीरता को देखते हुए केन्द्र सरकार ने चरखा दांव लगाते हुए कुश्ती संघ की नयी इकाई को निलंबित कर दिया।
समुद्री डकैतों को मुंहतोड़ जबाव देगा भारत
हिंद महासागर क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि बहुत से देशों की सुरक्षा और विकास के लिए जरूरी है। कई महासागर आधारित उद्योगों विशेषकर शिपिंग के लिए हिंद महासागर तो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मलक्का जलडमरूमध्य हो या होरमुज स्ट्रेट, बाब अलमंदेव की खाड़ी हो या यमन की खाड़ी, अरब सागर का विस्तार हो या बंगाल की खाड़ी सहित अंडमान सागर ये सभी सागरीय क्षेत्र हिंद महासागर की आर्थिक, रणनीतिक एवं सामरिक महत्व को दर्शाते हैं।
जलवायु परिवर्तन से निपटने को कितने तैयार हैं देश
वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है। इसके लिए जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाने की बात पहली बार की गई है जिससे वर्ष 2050 तक 'शुद्ध शून्य' लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। दरअसल अभी तक कई देश जो जीवाश्म ईंधन पर बड़े पैमाने पर निर्भर रहे हैं उन्होंने जीवाश्म ईंधन की कटौती के लक्ष्य को गंभीरता से लिया नही था।
अटल जी ने राष्ट्र सर्वोपरिता की सगुण जीवनदृष्टि दी
अटल जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने मिलकर चुनाव लड़ने के लिए गैर-कांग्रेसी दलों को सहमत किया। 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी जीती। सरकार भी बनी । वे विदेश मंत्री बने। दिल्ली में भारतीय जनसंघ का अधिवेशन हुआ। जनसंघ की विकास यात्रा में उपाध्याय, अटल जी आदि अनेक नेताओं, कार्यकर्ताओं ने अपना श्रम तप लगाया था।
हेमंत सोरेन के मास्टर स्ट्रोक के आगे विपक्ष पस्त
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक के बाद एक कुछ बड़े फैसले लेकर विपक्ष को सियासी तौर पर हाशिए पर लाने की कोशिश की है। जनता की नब्ज को समझते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे प्रदेश के सियासी समीकरण इंडिया गठबंधन के पक्ष में आ सकता है। 1932 खतियान आधारित नीति, नौकरियों में ओबीसी, एसटी, एससी आरक्षण में बढ़ोतरी को लागू करना मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
जल जीवन मिशन : मिजोरम अव्वल, असम सबसे पीछे
केंद्र सरकार के जलशक्ति विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे भारतवर्ष के ग्रामीण इलाकों के कुल 19,25,02,970 घरों में एफएचटीसी लगवाने का काम तेज गति से बढ़ रहा है। वर्ष 2019 के 15 अगस्त तक पूरे देश में सिर्फ 3,23,62,838 घरों तक ही यह योजना लागू हुई थी। यानी, केवल 16.81 फीसदी ही काम आगे बढ़ा हुआ था लेकिन अब तक राष्ट्रीय औसत दर 72.23 प्लस फीसदी तक पहुंच गया है। ताजा आंकड़ा 13,90,48, 534 प्लस हो गया है।
नीतीश के हाथ से फिसलता 'गठबंधन' का फल
पिछले दिनों दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले राजधानी पटना में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें नीतीश कुमार को पीएम पद के प्रत्याशी के • रूप में पेश किया गया। जब बैठक हुई तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन को पीएम पद का उम्मीदवार बता दिया। बैठक में पहुंचे लालू प्रसाद यादव की ओर से नीतीश के पक्ष में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
वक्फ बोर्ड के सहारे फलती-फूलती मुस्लिम तुष्टीकरण की सियासत
केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है। ज्यादातर किसी मुसलमान को ही अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया जाता है। मोदी सरकार में पहले मुख्तार अब्बास नकवी इस पद पर थे, उनके हटने के बाद से स्मृति ईरानी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं। वो पारसी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, मगर खास बात यह है कि सेंट्रल वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष तो गैर-मुस्लिम हो सकता है, लेकिन सारे सदस्य मुस्लिम ही होते हैं।
देश-विदेश में बढ़ती योगी की साख
योगी की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके सामने विपक्ष का कोई भी दांव सही नहीं बैठ पा रहा है। मोदी के साथ मिलकर तो योगी की ताकत और भी बढ़ जाती है। उत्तर प्रदेश में 2020 में शुरू हुई बुलडोजर राजनीति अब योगी सरकार का मुख्य हथियार बन गई है। लेकिन अब यह न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों में भी सुशासन का प्रतीक बन चुका है।
डाक टिकटों पर भी छाया रामराज
आज पूरा देश राममय हो चुका है, डाक विभाग भी इससे अछूा नहीं रहा। पीएम नरेन्द्र मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने डाक टिकट के माध्यम से भी प्रभु श्रीराम को घर-घर पहुंचाने का काम किया। तभी तो 2017 से अब तक प्रभु श्रीराम से जुड़े कई डाक टिकट जारी होते आ रहे हैं। 2017 में रामायण प्रसंग पर, 2020 में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रतिरूप पर आधारित डाक टिकट जारी किये गये। 2021 में अयोध्या शोध संस्थान द्वारा अयोध्या की पारंपरिक रामलीला का मंचन से संबंधित व 2022 में श्रीराम वन गमन पथ पर आधारित डाक टिकट जारी किये गये।
जनकपुर में भी भव्य उत्सव
अयोध्या में होने वाले दिव्य और भव्य आयोजन का हर कोई साक्षी होना चाहता है। इस अद्भुत क्षण को आंखों में समा लेना चाहता है।
रामलला विराजमान
25 मार्च 2020 को तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तमाम बाधायें समाप्त होने के बाद पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से संपन्न हुआ। अब 22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य और दिव्य आयोजन होने जा रहा है। वाराणसी के दो कर्मकांडी ब्राह्मण लक्ष्मीकांत दीक्षित और गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम विधि-विधान से संपन्न करायेंगे।
अपनी तरह का पहला सैन्य विद्रोह था पेशावर कांड
उत्तराखंड के जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आने के बाद मामला रुक गया, लेकिन परिजन अब उक्त जमीन को अपने नाम पर कराने या उत्तराखंड में जमीन दिलाने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग जायज इसलिये है कि देशप्रेम की मिसाल पेश करने और अदम्य साहस दिखाने पर अंग्रेज सरकार ने चन्द्रसिंह की जमीन जायदाद जब्त कर ली थी।
मोदी के सफल धामी प्रयोग ने दिलाया नए चेहरों को अवसर
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गये थे। इसलिए राज्यों में नेतृत्व का फैसला पीएम मोदी व पार्टी नेतृत्व ने लिया है। पार्टी नेतृत्व अब राज्यों के क्षत्रपों का दबाव बर्दाश्त करने के मूड में कतई नहीं है। वहीं, पार्टी में सामान्य विधायकों को सूबे की कमान सौंपकर राज्यों में चल रही गुटबाजी को थामने की कोशिश की गई है।
भू-कानून व मूल निवास मुद्दे पर धामी का बड़ा एक्शन
भू-कानून एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा रहा है जिसकी मांग उत्तराखंड राज्य के गठन के समय से ही जोरों पर रही है, मगर दुर्भाग्य से हर सरकार में यह मुद्दा न्याय के लिए जूझता रहा है।
अब किसानों के द्वार पहुंचेगी धामी सरकार
उत्तराखंड की पलायन जैसी मुख्य समस्या का असल कारण कृषि एवं औद्यानिकी की बदहाल स्थिति ही रहा है। सुविधाओं एवं अनुकूल परिस्थितियों के अभाव में लोग खेती छोड़ते रहे हैं, जिससे पर्वतीय भूमि बंजर होती रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य गठन के बाद से अब तक 72 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर हुई है, जबकि राज्य गठन के वक्त एक लाख हेक्टेयर बंजर भूमि विरासत में मिली थी।
2023 में फतह किया चुनौतियों का 'पहाड़'
2024 में 'नई उड़ान' भरेगा उत्तराखंड
दारू के बाद अब दवा बनी केजरीवाल के लिए 'जहर'
एलजी ने दिल्ली सरकार द्वारा अस्पतालों के लिए खरीदी गई दवाइयों के मामले में जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवाई खरीद में कई अनियमितताएं की गयीं। ये दवाइयां सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में परीक्षण के दौरान फेल पाई गई हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा खरीदी गई अप्रामाणिक दवाओं को लेकर एलजी ने यह आदेश दिए हैं। वहीं, दूसरी ओर सीएम अरविंद केजरीवाल को कुछ दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में तीसरी बार समन जारी किया।
मिशन कश्मीर अब एक विधान, एक निशान
अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को देश की सबसे बड़ी अदालत यानि सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी लेकिन लम्बी सुनवाई और बहस के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में ही चुनाव हों, राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो।