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प्राकृतिक खेती: रासायनिक जहर युक्त खेती का एक समाधान
गोबर के साथ पानी में अन्यः पदार्थ जैसे गोमूत्र, पेड़ के नीचे की उर्वरा मिट्टी, गुड़ और दाल का आटा मिलाकर बनाया जाता है। जीवामृत पौधों की वृद्धि और विकास के साथ मिट्टी की सरंचना सुधारने में मदद करता है, यह पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाता है।
शिमला मिर्च को कीट-रोग से बचाएं
मिर्च व शिमला मिर्च में डेंपिंग ऑफ तथा चूसकनाशी जीवों का प्रबंधन करने के लिए विश्वसनीय स्त्रोत से प्राप्त ट्राईकोडर्मा से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से या इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस का 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें, जिससे कि प्रारंभिक स्थितियों में ही नाशीजीवों का प्रबंधन किया जा सके।
खाद्य तेल फसलों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता
हमारा देश अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने लायक भी खाद्य तेल का उत्पादन नहीं कर रहा। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल आयात करने वाला देश है।
पीली क्रांति के लिए सरसों की एस आर आई तकनीक
कैबो बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार खाद्य तेल की वार्षिक खपत 2030 तक 34 मिलियन टन से भी अधिक होने की संभावना है। मौजूदा रूस-यूक्रेन के युद्ध से सूरजमुखी के तेल के आयात को प्रभावित किया जिससे इंडोनेशिया के पाम ऑयल पर प्रतिबंध लगने से हमारे देश में तेल की कीमतों में बहुत उछाल आया जिस कारण लोग तेल की बढ़ती कीमतों से निराश दिखाई दिए। तेल बीज फसलों अधीन अधिक बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली यद्यपि हरित क्रांति की शुरुआत बहुत पहले से हो गई थी।
इटैलियन मधुमक्खी पालन से मिलेगा 3 गुना ज्यादा शहद
अगर आप बागानों के साथ इटालियन मधुमक्खी पालन करते हैं, तो आप इससे ओर भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आप अगर पहली बार मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, तो इसके लिए आप सरकार की भी मदद ले सकते हैं। दरअसल, सरकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी देती है।
कृषि सब्सिडी के उचित इस्तेमाल के लिए राज्य लें जिम्मेदारी
उत्तर भारत के कुछ मुट्ठी भर राज्य केंद्रीय सब्सिडी तथा किसानों को किए जाने वाले ट्रांसफर का ज्यादातर हिस्सा हथिया लेते हैं- ये खुलासा पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के सह-लेखन में हुई एक स्टडी में किया गया है।
मूंगफली की गुणवत्ता जांचने के लिए नई तकनीक
फूड टैस्टिंग
बढ़ते तापमान से बदल रहा है कीटों का व्यवहार
ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव
जैविक खाद की खेती में इस्तेमाल के बारे में अध्ययन करेगा पीएयू
विशेषज्ञों ने जैविक खाद की कृषि में प्रयोग एवं पौधों के विकास पर मिट्टी की गुणवत्ता पर इसके प्रभावों के बारे में खोज आरंभ की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय दो फसलों का अध्ययन करने के उपरांत अगले वर्ष अप्रैल तक कृषि में इस जैविक खाद के प्रयोग के फायदों एवं नुक्सान के बारे अंतिम रिपोर्ट सांझी करेगी।
स्ट्रॉबेरी की आधुनिक खेती पद्धति
स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जिससे हम सभी भली-भांति परिचित हैं। स्ट्रॉबेरी में कई जरुरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे सेहत के लिए जरूरी हैं।
कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति
डिजिटल कृषि और 'परिशुद्ध कृषि' के सभी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण करना। उच्च गुणवत्तापूर्ण डेटा तक पहुँच के माध्यम से कृषि में अनुसंधान एवं विकास और नवाचारों को बढ़ावा देना। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ सहयोग करते हुए सहकारी संघवाद के सर्वोत्तम सिद्धांतों को अंगीकार करना।
'लेबल बीज उत्पादक सावधान'
एक पहचानी जाने वाली किस्म का बीज किसी पात्र - थैले, कट्टे, पाऊच, टिन, बैरल, गास्कट आदि में भरा हो और न्यूनतम मानक पूरा करता हो और ये मानक एक लेबल पर लिखे हो और वह लेबल बीज पात्र पर लगा हो वह लेबल बीज है।
चरागाह की स्थिति
मनुष्य पौष्टिक दाना खाते हैं और बचे पुआल से पशु गुजारा करते। चरागाह, जंगल और खेती की जमीन में से आज भी लोगों की ओर से चरागाह की उपेक्षा निरंतर जारी है। चरागाहों पर अतिरिक्त भार पड़ने का तीसरा कारण है कि हमारे यहां चारा उत्पादन की और चरागाहों के रख-रखाव की कोई ठीक योजना नहीं है। अनाज ज्यादा पैदा करने पर जोर दिया गया और फिर नकदी फसलों को भी खूब बढ़ावा मिला।
फूड प्रोसैस्सिंग में युवक किसानों के लिए संभावनायें
फूड प्रोसैस्सिंग के क्षेत्र में संभावनायों को देखते हुए युवक किसान उद्यमियों को फूड प्रोसैस्सिंग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम पी.एम.एफ.एम.ई. चलाई गई है जिसमें केन्द्र एवं राज्य सरकार 60:40 की रेशो में फंड मुहैय्या करवाएंगी।
हरी खाद के लिए आवश्यक गुण व प्रयुक्त फसलें
हरी खाद
पॉली हाउस में सब्जियों का उत्पादन
पॉली हाउस
सफेद बटन खुम्ब की अजैविक समस्याएँ, उनका कारण एवं समाधान
फसल सुरक्षा
धान के हानिकारक कीट एवं प्रबन्धन
फसल सुरक्षा
मिर्च उत्पादन की उन्नत तकनीक
मसाला फसल
मूंगफली की उन्नत खेती
तिलहनी फसल
भूमि सुधार के लिए आवश्यक हैं देसी खादें
देसी खाद भूमि की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के अलावा भूमि के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में भी सुधार करती है। इनके प्रयोग से भूमि के खाद्य तत्व संभालने की शक्ति बढ़ती है। देसी खादों का प्रयोग फसलों में प्रयोग की गई रासायनिक खादों के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
कृषि में जैव उर्वरकों की भूमिका
जैविक खाद
स्वास्थ्य योजनाओं का गोरखधंधा
स्वास्थ्य योजनाएं
धान में सूक्ष्म तत्व-जिंक को महत्व दें
पोषक प्रबंधन
टमाटर की फसल में बीमारियों की रोकथाम
फसल सुरक्षा - टमाटर
पशु आहार में दूषक पदार्थों के स्तर को घटाने हेतु अच्छी पशु पोषण पद्धतियां
पशुपालन
फूलगोभी की नर्सरी कैसे करें तैयार
फूलगोभी अपनी आकर्षक उपस्थिति, अच्छे स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-बी, विटामिन सी और मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विभिन्न खनिज पाए जाते हैं।
राजमा की उन्नत खेती
दलहनी फसल - राजमा
भैंसों में गलघोटू रोग : लक्षण एवं बचाव
पशुपालन - विश्व में सबसे अधिक भैंसें भारत में पाई जाती हैं।
जैविक खेती में देसी बीजों का महत्व
देसी बीज अधिक खाद की माँग नहीं करते और किसान को इन बीजों के लिए बाजार एवं कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इस तरह पैदा की फसलों का स्वैः मंडीकरण के द्वारा मूल्य भी अधिक मिल जाता है । यह बीज स्थानीय पर्यावरण में पैदा होने के प्राकृतिक तौर पर माकूल होते हैं । कई किसान बीज उत्पादन में महारत हासिल करके बढ़िया बीज तैयार कर रहे हैं एवं बीजों की और किस्में भी तैयार कर रहे हैं।