वैश्विक जनसंख्या आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत की आबादी 138 करोड़ तक पहुंच चुकी है, जो दुनियाभर की आबादी का 17.7 प्रतिशत है। आजादी के बाद से भारत की आबादी में 3.35 गुना बढ़ोतरी हुई है और साल 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। लेकिन, भारत के पास दुनिया की भूमि का महज 2.4 प्रतिशत हिस्सा है।
कृषि जनगणना 2015-2016 के मुताबिक, भारत में एक किसान के पास औसतन 1.08 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। भारत के राज्यों में मौजूद आधे किसान सीमांत खेतिहर (1 हैक्टेयर) और बाकी छोटे किसान (1 से 2 हैक्टेयर भूमि) हैं। ये किसान कई तरह की समस्याएं जैसे खेती के लिए बीज, खाद व अन्य चीजों की सप्लाई, लोन, खराब परिवहन और बाजार सुविधा की समस्या से जूझ रहे हैं। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत (49 प्रतिशत हिस्सेदारी चावल में, 40 प्रतिशत गेहूं में, 27 प्रतिशत हिस्सेदारी दाल में, 29 प्रतिशत हिस्सेदारी मोटे अनाज में और आधा हिस्सेदारी फल और सब्जी में ) है।
देश की आबादी के 58 प्रतिशत हिस्से की कमाई का प्राथमिक स्रोत खेती है। कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।
सरकारी अनुमानों के मुताबिक, साल 2019-2020 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन लक्ष्य 291.95 मिलियन टन था और साल 2020-2021 के लिए सरकार ने 298.3 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के उत्पादन के मुकाबले 2 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, देश की आबादी की जरूरतों को पूरा करने और आय में इजाफे के लिए साल 2050 तक उत्पादन को दोगुना करना होगा। ऐसे में भारत की खाद्य सुरक्षा और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में छोटे और सीमांत किसानों की महती भूमिका है।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।