CATEGORIES
Categories
भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
അയ്യപ്പ തിന്തകത്തോം, സ്വാമി തിന്തകത്തോം, മതമൈത്രിയുടെ മഹനീയ സന്ദേശം - പുതുമന മധു നമ്പൂതിരി
പേട്ടതുള്ളൽ ജനുവരി 12 ന്
വിഗ്രഹങ്ങളും സവിശേഷതകളും
പുണ്യതീർത്ഥം, പുണ്യക്ഷേത്രം, ഉദ്യാനം എന്നിവിടങ്ങളിൽ മണ്ണു കൊണ്ട് നിർമ്മിച്ച വിഗ്രഹങ്ങൾ പ്രതിഷ്ഠിക്കാവുന്നതാണ്
ഉപാസനയുടെ ഷഷ്ഠിപൂർത്തി
മണക്കാട് പരമേശ്വരൻ നമ്പൂതിരി കൂടൽമാണിക്യ സ്വാമിയെ സേവിച്ചു തുടങ്ങിയിട്ട് ആറ് പതിറ്റാണ്ടോളമാകുന്നു
അഭിഷേകത്തിന്റെ ഫലങ്ങൾ
സംസ്കൃതത്തിൽ അഭിഷേക അല്ലെങ്കിൽ അഭിഷേകം എന്നാൽ ആരാധന അർപ്പിക്കുന്ന ദൈവത്വത്തെ കുളിപ്പിക്കുക എന്നാണ് അർത്ഥമാക്കുന്നത്
ഭഗവാന് സന്തോഷമേകുന്ന നിഷ്ക്കളങ്ക പ്രാർത്ഥന
ആത്മീയ ജീവിതം സ്വീകരിച്ചു കൊണ്ട് ഇരുവരും ഭഗവത് ഗാനാലാപനങ്ങളുമായി ശേഷകാലം ജീവിച്ചു
കാനനവാസനെ കാണാൻ കാട്ടുകനികളുമായി കാടിന്റെ മക്കൾ
അഗസ്ത്യാർകൂടം വനമേഖലയിലെ ഗോത്രവിഭാഗക്കാരായ കാണിമാർ അയ്യപ്പദർശനത്തിനായി എത്തുന്നത് കാട്ടുവിഭവങ്ങളുമായിട്ടാണ്. കാട്ടിലെ ദുരിതജീവിതവും, സങ്കടങ്ങളും അവർ കണ്ണി രോടെ അയ്യപ്പനോട് പറയും. കാണിക്കയായി അയ്യപ്പന്റെ മുമ്പിൽ കാട്ടുതേനും, കദളിക്കുലയും, കരിക്കും, കുന്തിരിക്കവും സമർപ്പിക്കും.
കന്നിമൂല വാസ്തു
ഒട്ടനവധി നിയമങ്ങൾ വീട് സംബന്ധമായി നിലനിൽക്കുന്നു
आरोग्य, अध्यात्म, पर्यावरण रक्षा व सद्गति का अमृतस्रोत
हर मनुष्य चाहता है : (१) शारीरिक स्वास्थ्य (२) मानसिक स्वास्थ्य (३) बौद्धिक विकास (४) आर्थिक सम्पन्नता (५) आध्यात्मिक उन्नति (६) पारिवारिक सुख-शांति (७) सद्गति, मोक्ष या पारलौकिक ऊँची गति।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
भगवद्रस ऐसा सुखदायी है!
रामायण में शिवजी बोलते हैं : उमा राम सुभाउ जेहिं जाना । ताहि भजनु तजि भाव न आना ॥ (रामचरित. सुं.कां.: ३३.२)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
ശ്രീപത്മനാഭസ്വാമി ക്ഷേത്രത്തിലെ അജ്ഞാതമായ വസ്തുതകൾ
ഉത്തമ വൈഷ്ണവ സങ്കേതങ്ങൾ എപ്രകാരമായിരിക്കണമെന്ന് ആഗമങ്ങൾ ചൂണ്ടിക്കാണിക്കുന്നുണ്ട്