शिवसेना
उन्हें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट के सहारे वे ब्रांड शिवसेना पर स्वामित्व और उसके तीर-धनुष चिह्न पर लगा बड़ा दांव जीतने का आखिरी मौका हासिल कर लेंगे. जुलाई का अंत आते-आते उद्धव ने शीर्ष अदालत का रुख किया ताकि बीते जून में अचानक तख्ता पलट कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री 4 पद पर काबिज होने वाले एकनाथ शिंदे को वैधता हासिल करने से रोका जा सके. ठाकरे 'असली शिवसेना कौन है' का मुद्दा सुलझाने के लिए चुनाव आयोग की शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
चुनाव आयोग ने उद्धव और शिंदे के नेतृत्व वाले दोनों गुटों से इन दावों की पुष्टि के लिए दस्तावेज मांगे हैं कि पार्टी के अधिकांश सदस्य उनके साथ हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उद्धव ने तर्क दिया है कि चुनाव आयोग इस पर तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक कि शिंदे और 15 अन्य बागी विधायकों को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए अयोग्य घोषित करने की उनकी याचिका पर फैसला नहीं हो जाता. उन्होंने न केवल शिंदे के शपथ ग्रहण समारोह को 'असंवैधानिक' बताया है बल्कि याचिका में यह भी कहा है कि चुनाव आयोग की कार्यवाही तय ढर्रे का उल्लंघन करती है क्योंकि अदालत में पहले से लंबित किसी मामले की जांच करना अदालत की अवमानना जैसा है. उद्धव ने यह भी दावा किया कि शिंदे गुट अवैध रूप से अपना संख्याबल बढ़ाने और संगठन में नकली बहुमत हासिल करने की कोशिश में लगा है.
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