छत्तीसगढ़ में लंबे समय से आदिवासी समाज के बीच काम कर रहे आदिवासी नेता और सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश सचिव विनोद कुमार नागवंशी गोंड समाज से हैं. वे बताते हैं कि सरकारी दस्तावेजों में अंग्रेजी में गोंड को एक ही तरह से लिखा गया है, जबकि हिंदी में इसे चार तरह से लिखा जाता है - गोंड, गोड, गोंड़ और गोड़. अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में सिर्फ गोंड दर्ज है, इस वजह से जिन लोगों के जाति प्रमाण पत्र में गोंड़ लिखा गया, उन्हें एसटी सूची का लाभ नहीं मिल पा रहा था.
बीते दिनों 15 आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकृति देकर ऐसे कई आदिवासी समुदायों की दिक्कतें दूर करने का काम किया है जो लिपिगत त्रुटियों की वजह से एसटी सूची में होने के लाभ से वंचित थे. जिन 15 समुदायों को एसटी सूची में शामिल किया गया है, वे हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु से हैं.
हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव अगले साल होंगे. इस नाते यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार का यह निर्णय सत्ताधारी भाजपा की आदिवासी समाज में अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति का एक हिस्सा है. उत्तर प्रदेश के एसटी समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने को 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा की तैयारी से भी जोड़ा जा रहा है.
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