जीवनरेखा की सुरक्षा
India Today Hindi|October 12, 2022
जीवन बीमा आपकी अचानक मौत की घड़ी में आपके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का एक तरीका है. यह आपकी अनुपस्थिति में परिवार के सपनों को जीवित रखने का वित्तीय साधन है
नारायण कृष्णमूर्ति
जीवनरेखा की सुरक्षा

अगर आपने जीवन बीमा के प्रोडक्ट के वीडियो विज्ञापन देखे हैं तो वे आम तौर पर एक खुशहाल परिवार के इर्द-गिर्द घूमते हैं और जीवन बीमा के महत्व पर जोर देने के लिए संदेश को 'क्या होगा अगर' संदर्भ के साथ जोड़ते हैं. कुछ विज्ञापन साफ तौर पर बताते हैं कि परिवार के मुख्य कमाऊ सदस्य की ओर से ली गई जीवन बीमा पॉलिसी की वजह से परिवार ने अपने वित्तीय मामलों का प्रबंधन कैसे किया. इस तरह के विज्ञापनों ने परिवार के किसी सदस्य की मौत की घड़ी में जीवन बीमा के साथ जुड़ाव को मजबूत बनाया हकीकत यह है कि जीवन बीमा केवल वित्तीय सुरक्षा उपकरण नहीं है; यह आपकी मानसिक शांति के लिए एक वित्तीय समाधान है.

फिर भी संभावना है कि ज्यादातर लोग वित्तीय सुरक्षा के अलावा दूसरी वजहों से जीवन बीमा खरीदते हों. वे इसे टैक्स बचाने के लिए, एक निवेश विकल्प के रूप में, ऐसे बचत विकल्प के रूप में खरीदते हैं जो वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करता है. ऐसे लोग जीवन बीमा को एक खर्च के रूप में देखते हैं, क्योंकि कुछ पॉलिसियों में बीमित अवधि के दौरान जीवित रहने के बाद कोई आय प्राप्त नहीं होती. कुछ लोग उन्हें खराब निवेश विकल्प मानते हैं, यहां तक कि कई लोग इसे अपनी समझ के परे का प्रोडक्ट मानते हैं.

जीवन बीमा खरीदना बहुत मुश्किल काम है. इसके लिए प्रीमियम, जीवन बीमा, बीमा राशि, मृत्यु लाभ, भुगतान और अन्य लोगों के बीच लाभकारी नामांकित व्यक्ति जैसे अनजाने शब्दों से वाकिफ होना होता है. फिर आपको मुनासिब दरों पर पॉलिसी लेने के लिए सेहतमंद होना चाहिए; नहीं तो आपको उतनी ही राशि की पॉलिसी के लिए ज्यादा पैसा देना होगा. आप जितनी जानकारी जुटाएंगे, मुमकिन है कि आपका भरोसा उतना ही कम हो जाए कि जो पॉलिसी आपने ली है, वह सही है या नहीं.

लेकिन असल में आप यह सोचें कि आपने अपनी मृत्यु के बाद की घड़ी के लिए जीवन बीमा लिया है. यह सुनने में बेतुका लग सकता है, लेकिन जीवन बीमा चुनते वक्त आप ऐसा ही करते हैं. जब आप जीवन बीमा खरीदते हैं, तो आपकी जीत तभी होती है जब आप जल्दी मर जाते हैं - बीमा आपके आश्रितों को भुगतान करता है जो आपके किसी भी कर्ज को चुका सकते हैं और उन्हें अपनी जीवनशैली बनाए रखने में मदद मिलती है.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM INDIA TODAY HINDIView all
शब्द हैं तो सब है
India Today Hindi

शब्द हैं तो सब है

शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर

time-read
1 min  |
September 25, 2024
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
India Today Hindi

अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब

दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?

time-read
5 mins  |
September 25, 2024
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
India Today Hindi

डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई

नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी

time-read
8 mins  |
September 25, 2024
सनसनीखेज सफलता
India Today Hindi

सनसनीखेज सफलता

पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी

time-read
10+ mins  |
September 25, 2024
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
India Today Hindi

ममता के लिए मुश्किल घड़ी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है

time-read
5 mins  |
September 25, 2024
ठोकने की यह कैसी नीति
India Today Hindi

ठोकने की यह कैसी नीति

सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा

time-read
7 mins  |
September 25, 2024
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
India Today Hindi

अग्निपरीक्षा की तेज आंच

अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार

time-read
8 mins  |
September 25, 2024
अराजकता के गर्त में वापसी
India Today Hindi

अराजकता के गर्त में वापसी

केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं

time-read
7 mins  |
September 25, 2024
अब आई मगरमच्छों की बारी
India Today Hindi

अब आई मगरमच्छों की बारी

राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"

time-read
3 mins  |
September 25, 2024
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
India Today Hindi

नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए

सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"

time-read
5 mins  |
September 25, 2024