उनके शिष्य उन्हें सत्य साईं बाबा का 21वीं सदी का अवतार बताते हैं, वहीं विरोधी उन्हें अलग हो जाने को कह रहे रहे हैं. उन्होंने एक दशक पहले महज भवनों का समूह भर रह गए सत्य साईं ग्राम को बदलकर एक संपन्न आध्यात्मिक अभयारण्य में बदल दिया है, जहां श्री सत्य साईं बाबा के उपदेश और परंपराएं जीवंत हो उठती हैं. जबकि पुट्टापर्थी, आंध्र प्रदेश स्थित सांई बाबा का असली घर प्रशांति निलयम, श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट (एसएसएससीटी) के प्रबंधन में अपनी लोकप्रियता और अनुयायियों की संख्या खोता जा रहा है. साल 2011 में ब्रह्मलीन हुए सत्य साईं बाबा की विरासत पर कब्जे की जंग शुरू हो गई है.
जंग में एक तरफ हैं 43 वर्षीय सद्गुरु मधुसूदन साईं, जिन्होंने पुट्टापर्थी में साईं बाबा स्थापित कई शैक्षणिक संस्थानों में से एक श्री सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग (एसएसएसआइएचएल) से बिजनेस मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया. वे आध्यात्मिक गुरु के वैधानिक उत्तराधिकारी होने का दावा करते हैं. तो, दूसरी ओर हैं गुरु के भतीजे और 2020 से सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी आर.जे. रत्नाकर, जो नायडू को एक ढोंगी बताते हैं. उनका दावा है कि वे ही साईं बाबा की निधियों के वारिस हैं.
लंबे समय से सत्य साईं बाबा से जुड़े लोगों और उनके अनुयायियों के मन में, मधुसूदन साईं और मुद्दनहल्ली के एसएसएसआइएचएल हॉस्टल के पूर्व वार्डन बी. एन. नरसिम्हा मूर्ति के नेतृत्व में बन रहे इस गुट को लेकर असंतोष पनप रहा है. आंध्र प्रदेश की पूर्व मंत्री जे. गीता रेड्डी कहती हैं, "अनुयायियों के लिए यह सबसे पवित्र जगह है. यहां से सत्य साईं ने सेवा और प्रेम के मिशन का प्रसार किया था."
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