फरवरी की 4 तारीख को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन धनबाद में अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 51वां स्थापना दिवस मना रहे थे. उसी दिन धनबाद से करीब 100 किलोमीटर दूर राज्य के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित देवघर जिले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक रैली को संबोधित कर रहे थे और उनकी सरकार पर करारा हमला बोलते हुए उसे 'देश की सबसे भ्रष्ट सरकार' बता रहे थे.
यह महज एक महीने के अंदर झारखंड में शाह की दूसरी जनसभा थी. उनकी पिछली जनसभा 7 जनवरी को दक्षिणी झारखंड के चाईबासा में हुई थी. वहां भी सोरेन की अगुआई वाली गठबंधन सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने की अपील करते हुए उन्होंने इसी तरह हमला बोला था. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन जनसभाओं को विजय संकल्प रैली का नाम दिया है. लोकसभा चुनाव में भले ही अभी एक साल से अधिक का समय बाकी है लेकिन पार्टी के इरादे स्पष्ट हैं कि माहौल तो अभी से बनाना होगा. वजह साफ है, अगर भाजपा 2019 का प्रदर्शन दोहराना चाहती है, तो उसे सोरेन को राजनैतिक और न्यायिक स्तर पर चौतरफा घेरने के अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहा था.
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