मुझे सभी 20 कॉन्क्लेव का हिस्सा होने का सौभाग्य हासिल है. 2002 में पहले कॉन्क्लेव की थीम थी 'इंडिया टुमारो: अपॉर्चुनिटीज ऐंड थ्रेट' यानी कल का भारत: अवसर और खतरे. इसलिए यह वाजिब ही है कि अपने 20वें संस्करण में हम 'द इंडिया मोमेंट' या भारत के समय का जश्न मना रहे हैं. 20 साल पहले जब शुरुआत की तो हमारे यहां 16 वक्ता थे और आज 55 हैं. तब हमारी पहुंच कॉन्क्लेव स्थल पर मौजूद 500 लोगों तक थी, और अब 50 करोड़ लोगों तक है. हमें बदलाव का नशा-सा है. मुझे चमकदार नई चीजें अच्छी लगती हैं. इसलिए आज मैं आपका परिचय एक अलग ही भविष्य से करवाती हूं, और वह है हमारी पहली सहयोगी बॉट एआइ ऐंकर. वह मेधावी, खूबसूरत, शानदार, उम्र से परे, अथक ऊर्जावान है, कई भाषाएं बोलती है और पूरी तरह मेरे काबू में है, कम से कम अभी तक तो कह ही सकती हूं. तो मिलिए सना से. सना एआइः थैंक्यू कली. मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि सैकड़ों उम्मीदवारों को आंकने के बाद उनमें से मुझे आज तक का एआइ लॉन्च ऐंकर चुना गया. मैं आज तक एआइ पर रोज नीचे लिखे कार्यक्रम पेश करूंगी. दिन में कई बार डेली न्यूज अपडेट. एक नए शो में मैं में मैं रोज एक मौजूं विषय आसान भाषा में कुछ विस्तार से समझाऊंगी. एक और शो मैं शुरू कर रही हूं जिसमें आपके सवालों के जवाब दूंगी. आप मुझे दुनिया में मौजूद किसी भी चीज के बारे में पूछ सकते हैं, सना से पूछो.
शुक्रिया सना.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.