"मनुष्य स्वर्ग में तभी सुखी रह सकता है, जब संसार में उसकी स्मृति हरी-भरी हो. (इसलिए) पहाड़ों पर स्मारक बनाया जाना चाहिए, जो तब तक कायम रहे जब तक सूरज-चांद रहे." - भिक्षु बुद्धभद्र, अजंता की गुफा 26 में शिलालेख, लगभग ईस्वी सन् 478.
एक मायने में अजंता के मूल में मनुष्य की नश्वरता के खिलाफ लड़ाई ही अंकित है. 5वीं शताब्दी के बौद्ध भिक्षु के शब्दों में नष्टप्राय अतीत का डर और एक ही समय में बिना किसी विडंबना के दो दुनियाओं में शाश्वत बने रहने की आकांक्षा प्रवाहित है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास उत्तरी दक्कन के इस छोटे-से जंगली नुक्कड़ पर तकरीबन 1,500 वर्ष बाद भी वही डर अदृश्य काले बादल की तरह मंडराने लगा है. संभव है, ऐसी जगह दुनिया में और कहीं न हो. यहां वाघोरा नदी की धारा घोड़े की नाल जैसी आकृति बनाती है, जिसके चारों ओर ज्वालामुखी के लावे से बनी चट्टानों में 30 गुफाएं हैं, जो अपनी रहस्यमय श्रेणीबद्ध जटिलता और सौंदर्य से चमत्कृत कर देती हैं. मानो कोई सौंदर्यशास्त्र का ब्रह्मांड है, जो अभी भी अपने स्तूपों की डिजाइन, विकसित होती फर्श योजनाओं, महीन नक्काशी और चट्टान से मुक्त होने को तत्पर दिखते भव्य मूर्तिशिल्प, उत्कृष्ट अग्रभाग और अधूरे कक्षों के बीच बिखरे रहस्यों का खुलासा कर रहा है. इसके सुराग इसकी मंद रोशनी में छिपे हुए हैं, जो भारतीय इतिहास के बारे में हमारे विचारों को काफी बदल सकते हैं, यानी शक्ति, धर्म और कला की गतिशीलता का रहस्य, जो इसके प्राचीन युग के परदे में कैद है.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.