जीत के आगे जंजाल
India Today Hindi|May 31, 2023
नए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए सब कुछ आसान नहीं होगा क्योंकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी सरकार में उनके बाद नंबर दो पर होंगे. इतना ही नहीं, पार्टी की पांच गारंटियों को जमीन पर उतारने का भारी-भरकम लक्ष्य भी उनके सामने है
अजय सुकुमारन
जीत के आगे जंजाल

अहम मौका आया तो कर्नाटक में कांग्रेस के दो ध्रुवों सिद्धारमैया और डी. के. शिवकुमार (डीकेएस) ने आपसी झगड़े दफनाकर अर्जुन की तरह एक ही साझा लक्ष्य पर अपनी नजरें टिकाए रखीं और वह लक्ष्य था पार्टी के लिए राज्य को फतह करना. 10 मई को कर्नाटक में मतदान से तीन दिन पहले भी कांग्रेस के चुनाव प्रबंधकों ने कल्पना के घोड़े दौड़ाए और एक मर्मांतक प्रहार का नजारा पेश किया. उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें पार्टी के दोनों वफादार सियासी सूरमा पुराने हमनवाओं के अंदाज में तनावमुक्त, बेरोकटोक, खुली बातचीत करते, विचार साझा करते और भविष्य की योजनाएं बनाते देखे गए. मगर जीत में जननेता सिद्धारमैया और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीकेएस के बीच प्रतिद्वंद्विता एकदम खुले में आ गई.

शखर की कुर्सी के लिए दोनों के दावे मजबूत थे. 75 वर्षीय सिद्धारमैया योग्य प्रशासक थे, जो 2013 और 2018 के बीच पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रह चुके थे, तो 61 वर्षीय डीकेएस चतुर संगठनकर्ता थे, जिनकी अगुआई में कर्नाटक कांग्रेस ने अब 1989 के बाद के सबसे शानदार चुनावी नतीजे दिए हैं. एक ने पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और दलितों का सामाजिक मेल तैयार करने का दावा किया, तो दूसरा उस ताकतवर वोक्कालिगा समुदाय की नुमाइंदगी करता था जिसके समर्थन से पार्टी ने दक्षिणी कर्नाटक का इलाका जीता. सिद्धारमैया को कांग्रेस विधायकों के बहुमत का समर्थन हासिल था तो डीकेएस की पहचान पार्टी के प्रति उनकी बेधड़क वफादारी थी. फैसला अंततः पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया गया, जिसमें अब कर्नाटक के एक और दिग्गज नेता एआइसीसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल थे. इसमें उन्हें चार दिन लगे, जब दिल्ली में सख्त मोलभाव के बाद कहीं जाकर सुलह का रास्ता निकाला गया.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM INDIA TODAY HINDIView all
परदेस में परचम
India Today Hindi

परदेस में परचम

भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.

time-read
4 mins  |
November 13, 2024
भारत का विशाल कला मंच
India Today Hindi

भारत का विशाल कला मंच

सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.

time-read
3 mins  |
November 13, 2024
सपनों के सौदागर
India Today Hindi

सपनों के सौदागर

हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.

time-read
4 mins  |
November 13, 2024
पासा पलटने वाले महारथी
India Today Hindi

पासा पलटने वाले महारथी

दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.

time-read
4 mins  |
November 13, 2024
गुरु और गाइड
India Today Hindi

गुरु और गाइड

अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.

time-read
4 mins  |
November 13, 2024
निडर नवाचारी
India Today Hindi

निडर नवाचारी

खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.

time-read
4 mins  |
November 13, 2024
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
India Today Hindi

अलहदा और असाधारण शख्सियतें

किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.

time-read
6 mins  |
November 13, 2024
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
India Today Hindi

अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे

महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.

time-read
10 mins  |
November 13, 2024
बोर्डरूम के बादशाह
India Today Hindi

बोर्डरूम के बादशाह

ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.

time-read
9 mins  |
November 13, 2024
देश के फौलादी कवच
India Today Hindi

देश के फौलादी कवच

लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.

time-read
10 mins  |
November 13, 2024