नं.1 एमिटी यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश, नोएडा
करीब 2,00,000 पूर्व छात्र, 30,000 से ज्यादा मौजूदा छात्र, 6,000 फैकल्टी सदस्य और वैज्ञानिक तथा 400 से ज्यादा रिसर्च प्रोजेक्ट. इतने पहलुओं के साथ उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी एक ऐसी जगह है, जहां सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता, बल्कि क्लासरूम के बाहर भी बहुत कुछ सिखाया जाता है.
यूनिवर्सिटी की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह यह भी है कि इसमें स्नातक, स्नातकोत्तर, एम.फिल और डॉक्टरेट रिसर्च प्रोग्राम के स्तर तक 400 के करीब एकेडमिक प्रोग्राम उपलब्ध हैं. छात्र इंजीनियरिंग, प्रबंधन, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, कानून, पत्रकारिता और जनसंचार समेत तमाम क्षेत्रों में यहां पढ़ाई कर सकते हैं. यह यूनिवर्सिटी जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, रक्षा प्रौद्योगिकी, स्टेम सेल और कैंसर सेल रिसर्च और साइबर सुरक्षा जैसे मल्टी-डिसिप्लिनरी प्रोग्राम संचालित करती है. एमिटी की सबसे बड़ी खासियत है बहुत सारे विषयों के साथ समग्र और उपयोगी शिक्षा प्रदान करने पर जोर देना, जो रोजगारपरक हो. इंडस्ट्री 5.0 (लोगों के साथ काम करने वाले रोबोट और स्मार्ट मशीनें ) पर केंद्रित पाठ्यक्रम के तहत इसके कोर्स खासे लचीले और च्वाइस-बेस्ड होते हैं और छात्रों का कौशल इस तरह निखारते हैं कि वे खुद को पेशेवर और उद्योगों की मांग के अनुरूप तैयार कर सकें.
एमिटी नोएडा के कुलपति बलविंदर शुक्ल के मुताबिक, "एमिटी अकादमिक उत्कृष्टता, रिसर्च, अपने इनोवेशन आधारित शैक्षणिक वातावरण और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे की बदौलत छात्रों को उनकी पूरी क्षमता के साथ खुलकर सीखने का मौका देती है. इससे मानवीय मूल्यों को सहेजते हुए वे एक नवोन्मेषी और उद्यमशील मानसिकता के साथ वर्ल्ड लीडर्स के तौर पर खड़े होने में सक्षम बनते हैं."
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"