कौशल विकास
उद्योगों को मिलें हुनरमंद कामगार
बदलते औद्योगिक क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिए बिल्कुल नए प्रकार के कौशल हासिल करने की जरूरत है. भारत अपनी वर्क फोर्स के कौशल विकास के मामले में पीछे है. अगर देश को अपनी आबादी का लाभ हासिल करना है तो युवाओं को तेजी से कुशल बनाना होगा
भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहा है. ऐसे में देश की जनशक्ति का कुशल या हुनरमंद होना कई गुना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. विभिन्न अनुमानों से पता चलता है कि 2030 तक कौशल सुधार में निवेश से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 65 खरब डॉलर और भारत की अर्थव्यवस्था को 570 अरब डॉलर (46,76,850 करोड़ रुपए) तक बढ़ाया जा सकता है. यही वजह है कि गरीबी मिटाने में कौशल विकास एक महत्वपूर्ण घटक है. धरती को बचाने और सभी के लिए शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए 2016 में शुरू की गई संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पहल जिसे सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के नाम से जाना जाता है.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.