एक नए युग का सूत्रपात
जीन थेरेपी भविष्य के लिए तमाम उम्मीदें जगाती है क्योंकि यह लक्षण देखकर उसका इलाज करने की विधि पर केंद्रित है. इतना ही नहीं, यह दुर्लभ बीमारियों को दूर करने के लिए दोषपूर्ण जीन में संशोधन को भी संभव बनाती है
हेल्थकेयर क्षेत्र के भविष्य को सुनहरा बनाने में जीन थेरेपी से बेहतर शायद कुछ नहीं हो सकता. जरा सोचिए, कितना बेहतर होगा कि कैंसर का इलाज करना ही नहीं, बल्कि उस जीन को ही बदल देना मुमकिन हो जाए जो इसका कारण बनता है. जीन थेरेपी से एक नया युग, एक ऐसा चरण है जहां दुर्लभ किस्म की बीमारियों को जड़ से मिटाना संभव हो सकता है. इसमें अपार क्षमताएं नजर आती हैं. गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए जीन थेरेपी का मतलब होगा, लगातार बीमारी झेलने या हमेशा दवाइयों पर ही निर्भर बने रहने से मुक्ति असाध्य बीमारियों के शिकार लोगों के लिए तो यह नया जीवन मिलने का मौका साबित हो सकती है, जीन थेरेपी ही भविष्य है, और यह बात अच्छे से समझकर ही भारत उसे बदलते हेल्थकेयर सेक्टर का एक अहम हिस्सा बनाने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है. 2019 में केंद्र ने जीन थेरेपी की क्षमता को पहचानना और क्लिनिकल गाइडलाइन से जुड़ा पहला सेट छापा, जो क्लिनिकल ट्रायल की नैतिकताओं से लेकर विनियमन और उत्पादन तक कई मुद्दों पर केंद्रित है. एलाइड मार्केट रिसर्च के मुताबिक, 2020 में वैश्विक जीन थेरेपी बाजार 6 अरब डॉलर ( 49,945 करोड़ रु) का था, और 2030 तक इसके 46.5 अरब डॉलर (3.9 लाख करोड़ रु) तक पहुंचने का अनुमान है.
'हमारी सीएआर-टी थेरेपी क्रांतिकारी होने के साथ सुरक्षित है और नतीजे बदलकर रख देने वाली है. इसने ब्लड कैंसर के मरीजों में आशा की नई किरण जगाई है. भारत में मल्टी-सेंटर इमेजिन ट्रायल का हमारा डेटा विश्व स्तर पर तुलना करने योग्य है " -डॉ. अरुण आनंद सीओओ इम्यूनील थेरेप्यूटिक्स
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