महज सालभर पहले इन्हीं दिनों बॉलीवुड वजूद के संकट से घिरा था. दक्षिण भारतीय फिल्मों के डब संस्करणों ने हिंदी फिल्मों के पांरपरिक गढ़ों में सेंध जो लगाई तो हिंदी सिनेमा के मरसिये लिखे जाने लगे. शुक्र है कि 2023 बॉलीवुड के उद्धार का साल रहा. ओमैक्स मीडिया की इंडिया बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदी फिल्म उद्योग के (टाइगर 3 और आने वाली सालार व डंकी के भरोसे) 11,730 करोड़ रुपए बटोरने का अनुमान है. इस तरह वह 2019-20 के शिखर 10,948 करोड़ रुपए को पार कर जाएगा. 300 करोड़ रुपए के क्लब को तो भूल ही जाएं. ब्लॉकबस्टर कामयाबी का मानक और भी ऊंचा तय कर दिया गया है - 500 करोड़ रुपए. इस साल एक नहीं, तीन हिंदी फिल्में इस कुलीन क्लब की गौरवशाली सदस्य बन चुकी हैं.
तो बॉलीवुड ने अपने को पिछले साल की मायूसी भरे गर्त से निकालने के लिए क्या किया? आशीर्वाद थिएटर्स प्रा. लि. के डायरेक्टर अक्षय राठी से पूछें तो वे बताएंगे कि इंडस्ट्री ने महामारी के बाद की गई अपनी गलतियों को दुरुस्त किया. उनका कहना है कि बॉलीवुड की गलती यह थी कि वह ऐसी 'लफ्फाज फिल्में' बना रहा था जो महामारी के बाद "सिनेमाघरों के माध्यम में नया नहीं जोड़ रही" थीं. सिनेमाघरों का यह उद्योग महामारी के झटकों से उबरकर वापसी करने वाले आखिरी उद्योगों में से एक था. ऐसा नहीं होने पर हिंदी फिल्मों के दर्शकों ने मनोरंजन के अपने नशे के लिए आरआरआर, के. जी. एफ: चैप्टर 2 और कांतारा सरीखी फिल्मों को गले लगाया. राठी कहते हैं, "कहानी कहना काफी नहीं. उसे सिनेमाई होना होगा, साथ बैठकर देखने में मजा आए और जज्बात जगाना होगा. हमने बड़े पर्दे पर ज्यादा भावनात्मक होना आखिरकार सीख लिया."
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
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नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
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ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
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सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"